गुजरात-हिमाचल के बाद अब कर्नाटक में होगी मोदी-राहुल की अगली जंग

By: Khabre Aaj Bhi
Jan 31, 2018
372

बेंगलुरु। गुजरात और हिमाचल चुनाव के परिणाम आ चुके हैं। दोनों राज्यों में बीजेपी को बहुमत मिला। बीजेपी की इस जीत को 2019 लोकसभा चुनाव के नजरिए से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अब सबकी नजर अगले साल होने वाले 8 राज्यों में विधानसभा चुनावों पर है जिसमें सबसे अहम कर्नाटक की लड़ाई है। दोनों पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस गुजरात-हिमाचल के परिणाम को पीछे छोड़ अब कर्नाटक में होने वाले चुनाव के लिए रणनीतियां बनाने में जुट गई हैं। बता दें कि कर्नाटक में 2018 के अप्रैल-मई महीने में चुनाव होने हैं। इस लड़ाई में बीजेपी का लक्ष्य जहां 'कांग्रेस मुक्त भारत' की दिशा में एक और कदम बढ़ाने का होगा तो वहीं सत्तारूढ़ कांग्रेस के लिए दोबारा कुर्सी हासिल करने की जंग होगी। गुजरात में बीजेपी की आसान जीत के अनुमान से अलग कर्नाटक चुनाव बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए गेम चेंजर साबित हो सकते हैं। दोनों पार्टियां गुजरात में चुनाव की घोषणा से पहले से ही कर्नाटक में प्रचार अभियान शुरू कर चुकी हैं। दोनों पार्टियां इस समय अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस चुनाव में बीजेपी अपना हिंदुत्व कार्ड के जरिए प्रचार करेगी तो वहीं सिद्धारमैया के नेतृत्व में कांग्रेस का जोर विकास कार्ड की ओर होगा। सीएम सिद्धारमैया का कहना है, 'हमारी पार्टी गुजरात में हार गई लेकिन फिर भी कड़ी चुनौती देकर जीत हासिल की है। यह कांग्रेस अध्यक्ष पद पर निर्वाचित राहुल की विजय यात्रा का पहला चरण है। कर्नाटक में भी हमारी जीत निश्चित है और यह राहुल को हमारी तरफ से गिफ्ट होगा।' 

बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस की रणनीति 
सिद्धारमैया मानते हैं कि कर्नाटक में 'मोदी मैजिक' काम नहीं करेगा। वह कहते हैं, 'विधानसभा चुनावों में स्थानीय मुद्दों का बोलबाला होता है और हम यहां बाकी पार्टियों से आगे हैं।' इस समय कर्नाटक में 224 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के पास 127 सीटें हैं। सिद्धारमैया सोशल मीडिया पर भी बेहद ऐक्टिव हैं इस प्लैटफॉर्म का इस्तेमाल वह अपनी सरकार की उपलब्धियों को भुनाने में करते हैं, साथ ही अलग धर्म का दर्जा देने के लिए आंदोलन चला रहे लिंगायत समुदाय के विभाजन पर भी नजर बनाए हुए हैं जिसे उत्तरी कर्नाटक में बीजेपी का बड़ा समर्थन आधार माना जाता है। इसके अलावा सिद्धारमैया राज्य में महादयी और कावेरी जल विवाद से किसानों की स्थिति के लिए भी लगातार मोदी सरकार को कसूरवार ठहरा रहे हैं। 

बीजेपी के अंदर भीतरघात, मुश्किल है चुनाव की डगर 
बीजेपी ने कर्नाटक में सत्ता के खिलाफ लहर बनाने के लिए कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के आरोपों को भुनाने की कोशिश की जिसका बहुत ज्यादा असर जनता के बीच दिखाई नहीं दिया। इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि कांग्रेस के खिलाफ ऐसे कोई आरोप फिलहाल साबित नहीं हुए हैं। इस लिहाज से बीजेपी को अपने पुराने आदर्श - हिंदुत्व रणनीति- का रुख करना पड़ रहा है। 

शुरुआती स्तर पर देखा जाए तो राज्य में बीजेपी अभी कमजोर है। साथ ही पार्टी के भीतरघात ने जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को भी निराश किया है। वहीं बीएस येदुरप्पा को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए समर्थन नहीं मिल रहा है। 

तीसरे मोर्चे पर जेडीएस 
प्रदेश बीजेपी को उम्मीद है कि मोदी-शाह की जोड़ी ही कर्नाटक की नैय्या पार कराने में मददगार साबित हो सकती है। वहीं गुजरात की जीत से राज्य में बीजेपी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है। तीसरी ओर जेडीएस (जनता दल सेक्युलर) भी संभावित किंगमेकर के रूप में उभरती दिख रही है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एचडी कुमारस्वामी का कहना है, दोनों पार्टियों को गुजरात के परिणामों से खुश होने की जरूरत नहीं है। चुनाव में जहां बीजेपी की लोकप्रियता कम हुई है वहीं कांग्रेस को भी अपनी सीटें बढ़ाने के लिए मशक्कत करनी पड़ी। बता दें कि अगले साल कर्नाटक के अलावा त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने हैं। 


Khabre Aaj Bhi

Reporter - Khabre Aaj Bhi

Who will win IPL 2023 ?