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लखनऊ : भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, राम प्रसाद बिस्मिल और अश्फ़ाक़ुल्ला खान ने स्वतंत्र भारत को समाजवादी देश बनाने के लिए शहादत दी थी। इनके संगठन का नाम ही हिंदूस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक ऐसोसिएशन था। संविधान के प्रस्तावना में सोशलिस्ट शब्द का होना उन महान शहीदों के लक्ष्यों को याद दिलाता है जिसके लिए उन्होंने क़ुर्बानिया दी थीं। आरएसएस और हिंदू महासभा अंग्रेज़ों के साथ खड़े थे इसलिए उन्हें समाजवादी शब्द से शुरू से ही नफ़रत रहा है। मोदी सरकार इस शब्द को संविधान से हटाकर इन शहीदों का अपमान करना चाहती है। जिसे देश बर्दाश्त नहीं करेगा।
आरएसएस नेता राम माधव द्वारा एक अंग्रेज़ी अखबार में संविधान की प्रस्तावना को बदलने के पक्ष में लिखे गए लेख पर शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अभी 15 अगस्त को भी प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार बिबेक देबरॉय ने 'सोशलिस्ट' शब्द वाला संविधान बदल देने की बात की थी। जिससे साबित होता है कि मोदी सरकार गरीबों और ऐतिहासिक तौर पर वंचित तबकों को समता और बराबरी का दर्जा देने वाले संविधान को बदलने की साज़िश रच रही है। उन्होंने कहा कि जैसे ही समाजवादी शब्द संविधान की प्रस्तावना से हटा सरकार कल्याणकारी राज्य की ज़िम्मेदारी से मुक्त हो जाएगी। जिसके बाद मोदी सरकार के लिए देश के सार्वजनिक उपक्रमों को पूरी तरह अदानी और अंबानी को गिफ्ट कर देने का रास्ता खुल जाएगा। शाहनवाज़ आलम ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व में देश संविधान को बदलने की किसी भी कोशिश को सफल नहीं होने देगा। उन्होंने कहा कि देश समझ चुका है कि अगर 2024 में कांग्रेस सत्ता में आती है तभी संविधान बच पाएगा।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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