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गाजीपुर : फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत जनपद में दस अगस्त से सर्वजन दवा वितरण (एमडीए) कार्यक्रम संचालित किया जाएगा। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग विभिन्न विभागों के साथ समन्वय बनाकर कार्य कर रहा है। वहीं एमडीए अभियान की महत्ता को लेकर स्वास्थ्यकर्मी, ग्राम प्रधान, रोजगार सेवक, कोटेदार, शिक्षक, आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं मरीज सहायता समूह (पीएसजी) नेटवर्क समुदाय को जागरूक करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
कासिमाबाद ब्लॉक के मुबारकपुर नेत गाँव में सामुदायिक बैठक के दौरान ग्राम प्रधान सविता कुमारी ने लोगों से अपील की कि फाइलेरिया से बचाव के लिए दवा का सेवन जरूर करें। साथ ही अन्य लक्षित लाभार्थियों को भी दवा खाने के लिए प्रेरित करें। रोजगार सेवक राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि हमारा प्रयास रहेगा कि हम ज्यादा से ज्यादा युवकों को एमडीए के बारे में जागरूक करेंगे जिससे वह समाज के प्रत्येक वर्ग को इसके लाभ के बारे में जानकारी दे सकें। आशा कार्यकर्ता कुंती देवी ने कहा कि क्षेत्र के सभी लक्षित लाभार्थियों को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन कराने का प्रयास करेंगे। इन्कार करने वाले व्यक्तियों का व्यवहार परिवर्तन कर अपने समक्ष दवा खिलाएँगे। कोटेदार, शिक्षक, पंचायत सहायक ब्यूटी कुमारी, आशा देवी, आंगनबाड़ी उषा राय, एमडीए वालंटियर भी लोगों को जागरूक कर रहे हैं। पीएसजी से जुड़कर समुदाय को कर रहे जागरूक-मुबारकपर नेत गांव के निवासी 72 वर्षीय कैलाश राय ने बताया-वह लगभग 52 वर्ष से फाइलेरिया (हाथीपांव) बीमारी से जूझ रहे हैं। बहुत दवा खाई लेकिन आराम नहीं मिला। इस बीमारी के कारण उनको बुखार, पैरो में जलन और कई दिनों तक बिस्तर पर पड़ें रहते थे। दो माह पहले वह मरीज सहायता समूह (पीएसजी) नेटवर्क के साथ जुड़ें। इस दौरान पैरों की नियमित साफ-सफाई, व्यायाम, बुखार आने पर प्रभावित अंगों का रख-रखाव, रात में सोते समय पैरों को ऊंचा करके सोने आदि के बारे में बताया गया तब से वह सभी बातों का विशेष ध्यान रख रहे हैं। इससे उनके पैरों की सूजन कम हुई है तथा बुखार व पैरो में जलन भी नहीं होती। अब वह नेटवर्क के साथ जुड़ कर लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करने के बारे में जागरूक कर रहे हैं जिससे और लोगों को यह बीमारी न हो। 60 वर्षीय पुष्पा राय ने बताया कि वह लगभग 48 वर्ष से हाथीपांव की बीमारी से जूझ रही हैं। इस बीमारी के कारण मुझे चलने में बहुत समस्या होती थी। रोज़ के कार्य भी नहीं कर पा रहीं थीं लेकिन पीएसजी नेटवर्क के साथ जुडने के बाद उन्हें प्रभावित अंगों की साफ-सफाई और देखभाल की सम्पूर्ण जानकारी मिली। इसको नियमित करने से उन्हें काफी आराम मिला रहा है। उन्होंने कहा - मेरी बीमारी तो अब पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकती है लेकिन और लोगों को यह बीमारी न हो इसके लिए वह समुदाय को जागरूक कर रही हैं।
जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) मनोज कुमार ने बताया कि 10 अगस्त से आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर फाइलेरिया रोधी एमडीए दवा अपने समक्ष खिलाएंगी। यह दवा दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से ग्रसित बीमारी व्यक्तियों को नहीं दिया जाना है। यह दवा फाइलेरिया रोग से बचाव करती है। यह दवा साल में एक बार खिलाई जाती है। लगातार पांच सालों तक साल में एक बार इस दवा के सेवन से हम सभी फाइलेरिया बीमारी से बच सकते हैं। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होता है। इसके लक्षण 10 से 15 साल में दिखाई देते हैं। इसके संक्रमण से हाथ-पैरों, स्तन और अंडकोष में सूजन आ जाती है। यह लाइलाज बीमारी है। गंभीर स्थिति होने पर विकलांग होने की संभावना रहती है।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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