भारतीय अवाम पार्टी ने शुरू किया “चौखट प्रणाम” अभियान,चौखट प्रणाम अभियान के जरिये खोज रहे 60 हजार आजाद हिन्द फौज के सिपाहियों का पता

By: Khabre Aaj Bhi
Apr 06, 2022
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•देश को आजादी दिलाने वाली आजाद हिन्द फौज के सिपाहियों का परिवार गुपनामी में जी रहा है।

कांग्रेस की उपेक्षा से महान आजादी के योद्धा गुमनामी की जिन्दगी जीते रहे, बूढ़ी आँखों में भी सुभाष के आने का सपना था।

बलिदानी परिवारों के इतिहास को उजागर करने और महान क्रांतिकारियों के परिवारों को सर्वोच्च सम्मान देने की योजना पर काम कर रही है भारतीय अवाम पार्टी।

भारतीय अवाम पार्टी ने आजाद हिन्द फौज के महान योद्धाओं की स्मृति में “आजाद हिन्द स्तम्भ” लगाने का निर्णय लिया।

गाँव की सड़क महान योद्धा के नाम पर और उनके घर को सरकारी संरक्षण और उनके परिवार को सर्वोच्च सम्मान देने की योजना।


दिलदारनगर : उत्तर प्रदेश जनपद गाजीपुर के सेवराई तहसील क्षेत्र में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक एवं आजाद हिन्द सरकार के मुखिया नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने अखण्ड भारत को आजादी दिलाने के लिए आजाद हिन्द फौज का किया और 1943 में बर्तानिया हुकूमत के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के आह्वान पर आजाद हिन्द फौज में शामिल होने के लिए हजारों युवकों एवं युवतियों में होड़ मच गयी। विश्व की पहली महिला सेना रानी लक्ष्मी बाई रेजीमेंट का गठन भी सुभाष बाबू ने किया था। आजाद हिन्द फौज में 60 हजार सैनिक थे जो हर मोर्चे पर जंग लड़ रहे थे। लेकिन आजादी मिलने के बाद नेताजी सुभाष के महत्व को कम करने के लिए आजाद हिन्द फौज के योद्धाओं के साथ सौतेला व्यवहार हुआ, नेहरू सरकार ने उन्हें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मानने से ही इनकार कर दिया। कांग्रेस की उपेक्षा से दुखी आजाद हिन्द फौज के योद्धा जब लाल किले के ट्रायल से वापस अपने घर लौटे तो उन्हें गुमनामी का जीवन जीना मंजूर किया। आजमगढ़ के कर्नल निजामुद्दीन सबसे बेहतर उदाहरण हैं, 110 वर्ष की अवस्था में स्वर्गवासी हुए, लेकिन सरकार ने उन्हें पेंशन तक नहीं दिया।


नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के अधूरे सपने को पूरा करने के लिये सुभाषवादी विचारधारा की पार्टी भारतीय आवाम पार्टी (राष्ट्रीय) ने आजाद हिन्द फौज के 60 हजार योद्धाओं का पता लगाने और उनको सम्मान के साथ अधिकार दिलाने के लिए चौखट प्रणाम अभियान शुरू किया है। भारतीय अवाम पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कुंअर मुहम्मद नसीम रजा खां जो स्वयं इतिहास विज्ञ और धरोहरों के संग्रहकर्ता हैं। इस अभियान की कमान उनको दी गयी। कुंअर नसीम रजा खाँ ने गाजीपुर जनपद के उसिया, सरैला, महना गांव में पहुंचकर आजाद हिन्द फौज के योद्धाओं के गुमनाम परिवारों का पता लगाया। उनके घर के चौखट को प्रणाम किया और उनके परिवार के लोगों से उनके अंतिम दिनों की कथा जानी। चौखट प्रणाम अभियान से इतिहास की जो सच्चाई सामने आई उसे जानकर उन महान योद्धाओं के प्रति श्रद्धा ही बढ़ेगी और कांग्रेस की उपेक्षा के प्रति घृणा का भाव ही पैदा होगा।


गाजीपुर जनपद के दिलदारनगर थाना अंतर्गत उसिया गांव, जहां नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के दो महान योद्धाओं ने जन्म लिया। नजीर हुसैन आजाद हिन्द फौज में थे, सिंगापुर में नेताजी सुभाष के साथ थे। अंग्रेजों ने जब इनको गिरफ्तार किया तब भी ये दिल्ली चलो और जय हिन्द का नारा लगाते रहे। लाल किले में आजाद हिन्द फौज का ट्रायल हुआ, लेकिन जनक्रांति के दबाव में फौजी छोड़े गए। बाद में नजीर हुसैन फिल्मी दुनियां में चले गए। उसिया गांव के ही अनिरुद्ध राम कुशवाहा का जीवन गुमनामी भरा था। 10 मार्च 2007 को दिवंगत हुए और अपने अंतिम दिनों में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को याद करते रहे। उनके घर वालों ने बताया कि अंतिम दिनों में वे सुभाष बाबू की तस्वीर के सामने बैठे रहते थे और आंसू बहाते थे। भारतीय अवाम पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कुंअर नसीम रजा खां जब उनके घर पहुंचे तो इनके भतीजे शिव नारायण सिंह ने बताया कि आज तक हमारे चाचा को पूछने कोई नहीं आया था। पहली बार आप आए हैं। शिव नारायण ने बताया कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस अनिरुद्ध राम की मूंछ और पगड़ी पर फिदा थे। नेताजी ने इनको विशेष आदेश दिया था कि यह टोपी की जगह पगड़ी पहने। इनकी मूंछों के रख रखाव के लिए नेताजी ने एक पैसा इनाम घोषित किया जिसे आजाद हिन्द सरकार द्वारा मिलने वाली तनख्वाह में जोड़ कर दिया जाता था। अनिरुद्ध राम का अंतिम समय मुफलिसी में बीता। इस महान योद्धा को अंग्रेजों की यातना झेलनी पड़ी, लेकिन इसने मरते दम तक सुभाष बाबू का साथ नहीं छोड़ा।सरैला गांव में आजाद हिन्द फौज के महान योद्धा बीगन सिंह कुशवाहा के घर जब भारतीय अवाम पार्टी की टीम पहुंची और उनके परिवार वालों को नेताजी सुभाष की टोपी पहनाई तो आंसू छलक गए। बीगन सिंह तो नहीं रहे लेकिन उनकी 108 वर्षीय पत्नी नन्हकी देवी अभी जीवित हैं। परिवार के लोगों ने बताया कि बीगन सिंह जापान में कैद थे, नेताजी के आह्वान पर आजाद हिन्द फौज में शामिल हुए। अंतिम समय गुमनामी में बिताए। सरकारें बदलती रही लेकिन उनकी स्मृति में गांव की एक सड़क भी नहीं बन पाई।


चौखट प्रणाम कर कुंअर नसीम जब इनकी पत्नी को नेताजी की टोपी पहनाये तब बस जय हिन्द कह पायीं और रोती रहीं। महना गांव में नेताजी सुभाष के सिपाही अब्दुल गफ्फार खां का जन्म हुआ। आजाद हिन्द फौज में रहकर द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लिया। 4 अगस्त 2016 को 105 वर्ष होकर दिवंगत हुए। अंग्रेजों ने इनको आसाम से गिरफ्तार कर लिया। दिल्ली के लाल किले में मुकदमा चला, जब बरी हुए तो इनको 80 रुपए और 1 शाल मिला था। 6 वर्ष की कठोर कारावास काटे थे। अपने अंतिम समय में ‘मारो पीटो, दिल्ली चलो’ का नारा रटते रहे। अब्दुल गफ्फार खां कहते रहे कि नेताजी आएंगे, उनका वादा है, वह कभी झूठ नहीं बोलते। एक दिन सब जगह सुभाष जी को पूजेंगे, जब असलियत पता चलेगी। इनके पुत्र दिलदार खां भी फौज से रिटायर्ड हैं। इस महान योद्धा के परिवार को गुमनामी से निकालकर सबके सामने उजागर किया जाए, तभी तो आजादी के लिए दिए गए कुर्बानियों का पता चलेगा। महना के ही जहीर मोहम्मद भी आजाद हिन्द फौज में थे। चौखट प्रणाम के जरिए जहीर मोहम्मद के पुत्र मोहम्मद कासिम खान से कुंअर नसीम रजा की मुलाकात हुई। जहीर मोहम्मद ने बताया कि जब आजाद हिन्द फौज अंग्रेजों से जंग लड़ रही थी तब मेरे पिताजी एक माह तक जंगलों में रहे। पहले तो पत्तियां खाकर गुजारे, जब कुछ नहीं मिला तो भालू का शिकार कर खाना पड़ा। रंगून में 2 साल कैद में रहे। फिर भारत वापस आए। इनकी पेंशन तक नहीं मिली। जहीर मोहम्मद का जीवन सुभाष की याद में बीता। उनको लगता था कि नेताजी वापस आयेंगे। जहीर मोहम्मद को नेताजी की तस्वीर से बहुत प्रेम था, अंतिम दिन तक तस्वीर निहारते रहे। भारतीय अवाम पार्टी का चौखट प्रणाम भले ही गुमनाम योद्धाओं की तलाश का माध्यम बना हो लेकिन इनके बिना भारत की आजादी का अधूरा इतिहास ही पढ़ा गया। नेताजी सुभाष के सभी साथी अखण्ड भारत की आजादी के लिए कुर्बानी दिए, वे विभाजन से बहुत दुःखी थे। चौखट प्रणाम अभियान के संयोजक भारतीय अवाम पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कुंअर मुहम्मद नसीम रज़ा खाँ ने बताया की आजाद हिन्द फौज में 20 हजार के लगभग मुसलमान थे। कांग्रेस सरकार ने मुसलमानों का आजादी में योगदान, नाम, इतिहास सब गायब कर दिया। दुर्भाग्य से कांग्रेस ने देश बांटकर तोहमत मुसलमानों पर लगा दिया। हर सुभाषवादी अखण्ड भारत की आजादी चाहता था। हम चौखट प्रणाम के जरिये अखण्ड भारत के हर देश में आजाद हिन्द फौज के महान योद्धाओं की तलाश करेंगे और उनको गुमनामी से नकालकर इतिहास के पन्नों में स्थान दिलाएंगे। जिन्होंने आजादी दिलाई उनका जिक्र करना गुनाह हो गया और जिन्होंने देश बांटा, नफरत फैलायी उनका परिवार 70 सालों तक हुकूमत करता रहा। बलिदानी परिवारों के इतिहास के बिना भारत का इतिहास अधूरा रहेगा। आजाद हिन्द फौज के महान योद्धाओं की सूची उपलब्ध रहती तो हर गाँव के लोग, हर जाति को लोग उनपर गर्व करते। कांग्रेस ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के इतिहास को भी खत्म करने का पूरा प्रयास किया, लेकिन आज कांग्रेस खत्म हो रही है और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को राष्ट्रदेवता के रूप में पूजा जा रहा है।चौखट प्रणाम अभियान में कुंअर मुहम्मद नसीम रज़ा खाँ के साथ पार्टी के पदाधिकारियों में गाजीपुर के जिला महसचिव मोहम्मद अफ़रोज खाँ, जमानिया विधानसभा महासचिव मुशर्रफ हुसैन खाँ, खान जियाउद्दीन मोहम्मद कासिम, एडवोकेट शाहजहाँ खाँ भी शामिल रहे।


Khabre Aaj Bhi

Reporter - Khabre Aaj Bhi

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