To view this video please enable JavaScript, and consider upgrading to a web browser that supports HTML5 video
बीटीएसएस व टीएसओ की ऑनलाइन गोष्ठी संपन्न
by : navneet mishra
संत कबीर नगर : तिब्बत को स्वतंत्र कराने की आग जलती रहनी चाहिए, तभी बड़ा आंदोलन खड़ा होगा। चीन से तिब्बत की आजादी के लिए जरूरी है कि अब निर्वासित तिब्बती समाज भारत में भारतीयों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ चले।उक्त आशय का विचार जबलपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व भारत-तिब्बत समन्वय संघ की केंद्रीय परामर्शदात्री समिति के सदस्य प्रख्यात शिक्षाविद प्रोफेसर प्रयाग दत्त जुयाल ने "तिब्बती समाज की सुरक्षा व विकास: उत्तराखंड के परिप्रेक्ष्य में" भारत तिब्बत समन्वय संघ और तिब्बतन सेटेलमेंट ऑफिस, देहरादून के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ऑनलाइन गोष्ठी में व्यक्त किया।
प्रो.जुयाल उत्तराखंड में तिब्बतियों के सामान्य जनजीवन में सुविधाओं के अभाव पर अपने अध्ययन के आधार पर कार्य योजना प्रस्तुत करते हुए बोले कि तिब्बतियों को अपने में सुदृढ़ करने के लिए हम भी पूरा प्रयास करेंगे। उन्होंने तिब्बती औषधि व चिकित्सा पद्धति को लेकर राज्य के पर्यटन, धर्म पूर्तस्व व संस्कृति मंत्री सतपाल जी महाराज से हुई वार्ता की जानकारी भी दी। उन्होंने प्रारंभिक स्तर पर तिब्बत औषधीय वाटिका बनाए जाने का सुझाव भी दिया। तिब्बत सरकार में केंद्रीय प्रशासन के ज्वाइंट सेक्रेट्री व टीएसओ के प्रमुख लेफ्टिनेंट कर्नल नोरबू ने कहा कि तिब्बती पैथी का मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए व उत्तराखंड के अनुकूल पर्यावरण में तिब्बती जड़ी-बूटी को उगाने के संबंध में उन्होंने सहयोग की अपेक्षा की थी, लेकिन अभी तक भारत के सरकारी स्तर पर अपेक्षित सहयोग नहीं मिला।
श्री नोरबू ने कहा कि उत्तराखंड में कुल ८ हजार तिब्बती लोग रहते हैं लेकिन इन्हें मूलभूत नागरिक सुविधाओं का अभाव झेलना पड़ता है। क्योंकि हम वोट बैंक नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि अगर बीटीएसएस हमारे सहयोग के लिए खड़ा है तो हम भी उसके साथ खड़े हैं। गोष्ठी में इग्नू की प्रो वाइस चांसलर व बीटीएसएस की सीएसी सदस्य प्रो.सुमित्रा कुकरेती ने अपना संस्मरण सुनाते हुए कहा कि दुनिया में जहां हर प्रकार के शरणार्थी एक समय के बाद समस्या बन जाते हैं, वही तिब्बती समाज ही एक ऐसा है जो वह स्वयं समस्या में रह लेता है। लेकिन फिर भी शांति का संदेश प्रसारित करता है।
देश के जानेमाने प्रमुख भाषा विज्ञानी व उत्तराखंड बीटीएसएस के उपाध्यक्ष प्रो. विजय कौल ने कहा कि तिब्बती चिकित्सा परंपरा को और प्रकाश में लाकर इस समाज को समृद्ध किया जा सकता है।उत्तराखंड बीटीएसएस के प्रांत अध्यक्ष नरेंद्र चौहान ने कहा कि तिब्बती समाज की प्रत्येक समस्या के लिए निराकरण के लिए बीटीएसएस प्रतिबद्ध है और उन्हें हम शीघ्र समाधान दिलाएंगे। शासन-प्रशासन से जो संभव बन पड़ेगा, हम कराएंगे।गोष्ठी में कानपुर से जुड़ी संस्कृत विदुषी प्रो. सुधा गुप्ता ने सुझाव दिया कि तिब्बती जड़ी-बूटी के व्यवसायिक उत्पादन और विपणन से भी काफी हद तक इनकी आर्थिक स्थिति ठीक की जा सकती है।
इस अवसर पर संघ के केंद्रीय संयोजक हेमेंद्र तोमर ने कहा कि संघ तिब्बती स्वतंत्रता के साथ-साथ यहां रह रहे तिब्बती समाज की समस्या निराकरण के लिए भी कार्य कर रहा है। लेकिन इसके लिए तिब्बतियों को भी साथ आना होगा। राष्ट्रीय महामंत्री विजय मान ने कहा कि कैलाश पर विराजे बाबा महादेव की कृपा है कि आज हम तिब्बतियों के लिए वास्तविक काम करने वाले सबसे बड़े संगठन के रूप में पहचाने जा रहे हैं।गोष्ठी में काशी से जुड़े संघ के राष्ट्रीय महामंत्री अरविंद केशरी ने कहा कि अगर तिब्बती हमारी ओर एक कदम बढ़ेंगे तो हम उनकी ओर पांच कदम बढ़ कर उनकी सहायता के लिए खड़े दिखेंगे।ऑनलाइन गोष्ठी का सफल संचालन बीटीएसएस उत्तराखंड के महामंत्री मनोज गहतोड़ी ने किया।
गोष्ठी में प्रमुख रूप से अजीत अग्रवाल, मोहन भट्ट,श्यामसुंदर वैश्य,अनुराधा सिंह,तेजस चतुर्वेदी,अमिताभ सिन्हा,मुकेश तिवारी, डॉ.रुक्मेश चौहान, डॉ. परिजात सौरभ,ज्योति शर्मा,सरिता हाजरा, राकेश गुप्ता, बीआर कौंडल, रवि दुबे, डॉ.सोनी सिंह,प्रो.राघवेंद्र स्वामी, डॉ.कुलदीप त्यागी, राज लक्ष्मी त्रिपाठी, विजय दुबे, डॉ.राकेश दुबे,आभा सिंह, कपिल चतुर्वेदी,पारमदास प्रसाद, स्मृति श्रीवास्तव, संजय सोनी, दिनेश भाटी समेत राष्ट्र के विभिन्न जगहों से सैकड़ो लोग जुड़े रहे।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
0 followers
0 Subscribers