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दूध पौवा. गुजरात की वो डिश, जिसे शरद पूर्णिमा के त्योहार पर खाना ज़रूरी समझा जाता है. आम फहम भाषा में इस दूध पौवा को खीर कह सकते हैं. खीर, जो मीठी होती है लेकिन इस मीठी खीर पर गुजरात के एक पूर्व मुख्यमंत्री ने जो बयान दिया है, उससे गुजरात के दूसरे पूर्व मुख्यमंत्री को मिर्ची लग सकती है. गुजरात के वो मुख्यमंत्री जिन्होंने बयान दिया है उनका नाम है सुरेश मेहता और जिस पर उन्होंने आरोप लगाए हैं, वो हैं गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.
अहमदाबाद मिरर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सुरेश मेहता ने एक आरटीआई के हवाले से आरोप लगाया है कि 2005 में मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने रणोत्सव के दौरान 12, 270 रुपए का दूध पौवा खाया था. ये पैसा सरकारी था. हालांकि बीजेपी ने इन आरोपों का खंडन किया है.
2007 में बीजेपी से अलग होने वाले सुरेश मेहता ने कहा कि आरटीआई से जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक मोदी ने रणोत्सव में दूध पौवा खाने के अलावा ऊंट की सवारी भी की थी. ऊंट पर बैठने के लिए बिस्तर और तकिए लाए गए थे, जिनकी कीमत 15,625 रुपए थी. रणोत्सव का आयोजन 14-16 अक्टूबर 2005 के बीच किया गया था. इस कार्यक्रम के एक ही हफ्ते के बाद जिला और तालुका पंचायत के चुनाव होने थे, जिसके लिए आचार संहिता लग चुकी थी. सुरेश मेहता के मुताबिक ये आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन था.
मेहता के मुताबिक जिलाधिकारी और अन्य सरकारी अधिकारियों ने चुनाव आयोग से कहा था कि वो इस आयोजन से बाहर रहेंगे लेकिन मोदी की मौजूदगी के दौरान वो लोग कार्यक्रम में शामिल हुए थे. मेहता ने ये भी आरोप लगाए कि टूरिस्ट प्लेस के तौर पर सफेद कच्छ के रण को विकसित करने के लिए तब के कलेक्टर ने 453 अलग-अलग लोगों से स्पॉन्सरशिप के नाम पर 2.55 करोड़ रुपए लिए थे.
वहीं बीजेपी प्रवक्ता जय नारायण व्यास ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. उनका कहना था कि बिना कागजात देखे कुछ कहना मुश्किल है. जय नारायण व्यास ने सुरेश मेहता पर ही आरोप लगा दिए और कहा कि उन्हें 12 साल के बाद पता चला कि खीर की कीमत कितनी थी. सुरेश मेहता ने कहा था कि वो पूरे मामले को आरटीआई के जरिए सामने लाना चाहते थे, इसी वजह से उन्हें 12 साल लग गए.
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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