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ब्राह्मण वोटों के इच्छुक दल ब्राह्मणों के बारे में अपनी नीति और कार्यक्रम भी स्पष्ट करें
by:शिवप्रसाद अग्रहरि
जौनपुर:महाराष्ट्र के वरिष्ठ एनसीपी नेता पारसनाथ तिवारी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों के वोट चाहने वाले दलों को ब्राह्मणों के बारे में अपनी नीति और कार्यक्रम भी स्पष्ट करने चाहिए। उन्होंने दुरभाष के माध्यम से प्रेस से एक अनौपचारिक बातचीत में कही। श्री तिवारी ने कहाकि ब्राह्मणों के वोट सभी दलों को चाहिए लेकिन ब्राह्मणों के कल्याण की बात कोई दल नहीं करता है। उन्होंने कहाकि पिछले कई वर्षो से ब्राह्मण यहाँ राजनीतिक उपेक्षा के शिकार हैं लेकिन उनकी तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता है। ब्राह्मणों की याद चुनाव के समय ही आती है।
उन्होंने कहाकि उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में ब्राह्मण घोर गरीबी में जीवन काट रहे है लेकिन उनके कल्याण की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता है। उन्होंने कहाकि ब्राह्मण युवाओं में बेरोजगारी चरम पर है लेकिन उनके लिए किसी के पास कोई नीति और कार्यक्रम नहीं है। उन्होंने कहाकि ब्राह्मण अब किसी के झांसे में आने वाला नहीं है। जो उसके कल्याण की ठोस योजना बनाएगा अब वह उन्हीं को सपोर्ट करेगा। उन्होंने कहाकि ब्राह्मण जागरूक जाति है। वह झूठा वादा करने वालों को उनकी असली जगह दिखा देगा। उन्होंने कहाकि दो चार ब्राह्मणों को मंत्री बना या विधायक बना देने से कुछ होने वाला नहीं है। अब गरीब और आम ब्राह्मणों के कल्याण की बात होनी चाहिए। इसके साथ ही साथ उनके सम्मान और स्वाभिमान का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।
बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव २०२२ नजदीक है. लिहाजा सूबे की सत्ता में पहुंचने के लिए राजनीतिक पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. इसी दौरान ब्राह्मणों पर राजनीति भी खूब हो रही है. एक तरफ जहां बहुजन समाज पार्टी ने अयोध्या में शुक्रवार (२३ जुलाई) को प्रबुद्ध वर्ग संवाद सुरक्षा सम्मान विचार गोष्ठी का आयोजन कर ब्राह्मण सम्मेलनों के पहले चरण की शुरुआत की तो वहीं सपा राज्य में भगवान परशुराम की सबसे ऊंची प्रतिमा लगाने का वादा कर रही है. जबकि कांग्रेस में किसी ब्राह्मण चेहरे को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने की मांग उठ रही है.
बसपा सुप्रीमो मायावती अपना पूरा फोकस ब्राह्मण और दलित गठजोड़ पर कर रही है. इसका संकेत अयोध्या में हुए सम्मेलन के दौरान पार्टी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने दिया. उन्होंने कहा कि अगर १३ फीसदी ब्राह्मण २३ फीसदी दलित समुदाय से हाथ मिला लें तो बसपा की जीत निश्चित है.
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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