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By: खान अहमद जावेद
गाजीपुर : मुख्यालय से लगभग ३५- किलोमीटर दूर अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के अवसर पर गत ५ जून शनिवार दोपहर ग़ाज़ीपुर का मक़बूल तरीन गांव मांटा में नौजवान शायर इरफान आब्दी मांटवी की जानिब से आदरणीय नज़ीर हुसेन की अध्यक्षता में एक शानदार काव्य गोष्टी का आयोजन किया गया lजिसमें यूसुफपुर मुहम्मदाबाद के मशहूर ओ मारूफ़ शायरों के साथ कुछ उभरते हुए शायरों ने भी भाग लिया और काव्य पाठ किया जिनमे खासकर
युवा शायरों में इरशाद जनाब खलीली, सैफ़ी सलेमपुरी, आसी यूसुफपुरी, कलीम यूसुफपुरी, अहकम ग़ाज़ीपुरी, दानिश ग़ाज़ीपुरी के साथ साथ परचम मुहम्मदाबादी और चंचल यूसुफपुरी ने अपनी रचनाओं से सुनने वालों को भाव विभोर कर दिया
कार्यक्रम का संचालन उर्दू त्रैमासिक पत्रिका सबात के मुख्य सम्पादक युवा रचनाकार इरफान आब्दी मांटवी ने किया कार्यक्रम के मुख्य अथिति के रूप में प्रसिद्ध पत्रकार रविंद्र सिंह यादव तहसील इकाई अध्यक्ष महा ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन और विशिष्ट अतिथि चंचल शर्मा उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में प्रस्तुत चन्द शेर यथा देखे
यह अश्क बंद नहीं है बड़ा समुंदर है
इसीलिए तो नमक आंसुओं में रहता है
इरफान आब्दी
कितना मुश्किल है जमाने में मसीहा होना
देख लो जिस्म में पेवस्त हैं कीले कितनी
अयूब सैफ़ी सलेमपुरी
खिला है फूल जो बिखरेगा एक दिन
यही तो जिंदगी का फलसफा है
आसी यूसुफपुरी
जल्लादों के हाथों में है जबसे हिंदुस्तान
लहू रोता है हर इंसान लहू रोता है हर इंसान ह
अहकम गाजीपुरी
खुदा की खुदाई को तस्लीम करके
मैं सर को झुकाता चला जा रहा हूं
इरशाद जनाब खलीली
गुरबत उसके घर से जा सकती ही नहीं
जिसके घर में ला इलमी का पहरा हो
दानिश ग़ाज़ीपुरी
हमेशा जीत दुआओं से ही नहीं होती
बक़ाए दीं के लिए जंग भी ज़रूरी है
कलीम यूसुफपुरी
काव्य गोष्ठी के संयोजक इरफान आबदी अपने विशेष भेंटवार्ता में बताया के काव्य गोष्ठी कराने का मकसद गंगा जमुना तहजीब को आज के इस नफरत के माहौल में आगे बढ़ाने की जरूरत है । साहित्य जमाने की फोटोग्राफी होती है इस विरासत को कुचलने का प्रयास किया जा रहा है। हम नौजवानों का दायित्व है कि इसे बचा कर रखा जाए ।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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