सुप्रभात-सम्पादकीय उम्मीदों के अम्बार और मोदी सरकार के बीते चार साल पर विशेष-

By: rajaram
Jun 08, 2018
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साथियों, तमाम उम्मीदों अपेक्षाओं के आधार पर पूर्ण बहुमत से बनी भाजपा के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में बनी सरकार के चार साल पूरे हो गये और आखिरी साल के कुछ महीनों का सफर बाकी बचा है।इस समय सरकार चार साल में हुयी उपलब्धियों को लेकर सरकार खुद अपनी पीठ थपथपा रही है।जनता पिछले चार सालों से अपनी खुशहाली भ्रष्टाचार रहित व्यवस्था और भयमुक्त सरकार से तमाम उम्मीदें लगाये बैठी टुकुर टुकुर देख रही है। चार साल पहले जनता को लगा था कि युग परिवर्तन के साथ ही व्यवस्था में बदलाव और रामराज्य जैसा भय एवं भ्रष्टाचार मुक्त वातावरण बन जायेगा। सरकार बनने के बाद चलाई गई जनधन योजना को देख लोगों को लगा कि गरीब मझोला धनवान बन जायेगा और जीरो एमाउंट से खुले खातों में लाखों रुपये सरकार भेजकर मालामाल बना देगी। इसके बाद सरकार ने हरामखोरों बेइमानों की काली कमाई का पर्दाफाश करने के लिए नोटबंदी योजना शुरू की गई जिससे लगा कि हराम की कमाई वाले लोग कंगाल हो जायेंगे और उन्हें भी आमलोगों की तरह दो हजार रुपये बदलने के लिए बैंक की लाइन में लगना पड़ेगा। जनता की उम्मीदों एवं विश्वास पर कुठाराघात तब हुआ जबकि हरामखोरों बेइमानों के पास से करोड़ों की नयी नकदी करेंसी बरामद होने लगी।सरकार बनने के बाद लगा कि बैंकों की कार्यशैली और उपभोक्ताओं के साथ व्यवहार में सुधार होगा लेकिन बैंकों ने प्रधानमंत्री की नोटबंदी योजना को रसातल में पहुंचाने के साथ ही इतने नये नियम बना दिये हैं जिससे खातेदार की अनुमति के बिना हर तरह की बैंकिंग सेवा पर सरचार्ज लिया जाने लगा और उपभोक्ताओं को ग्राहक भगवान से गरजी बना दिया गया।यह सही है कि नोटबंदी में घपले का राजफाश होने के बाद प्रधानमंत्री ने सख्त कदम उठाया जिसके चलते तमाम नयी करेंसी पकड़ी गयी और सभी एटीएम मशीनों को चालू कराया गया। सरकार की महत्वाकांक्षी उज्जवला गैस योजना का लाभ लोगों को धरातल पर जरूर मिला और जिन्होंने स्वप्न में भी नहीं सोचा होगा उनके घर गैस सलैन्डर एवं चूल्हा पहुंच गया।यह बात अलग है कि आर्थिक स्थिति बेहतर न होने से लोग गैस का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं इसी तरह सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना का भी लाभ पात्रों को जरूर मिला लेकिन तमाम बंदिशों के बावजूद अधिकांशतः लाभ उसी को मिला है जिसने बदले में पैसा दिया।इसी चार साल में सस्ते दामों पर लोगों को मिलने वाली शकर योजना बंद हो गयी और सस्ते दाम वाले मिट्टी के तेल के कोटे में कटौती तथा मूल्यों में वृद्धि होने लगी। इन्हीं चार सालों में डीजल पेट्रोल के मूल्य अप्रत्याशित रूप में बढ़कर आसमान पर पहुंच गये हैं। इन्हीं चार वर्षों में हमारी सेना को सीमा और जम्मू कश्मीर में खुलकर कार्यवाही करने के छूट दी गई तो इन्हीं चार वर्षों में शस्त्र होते हुए भी हमारी सेना के जवान आंतकी समर्थकों के पत्थर खाते रहे।इन्हीं चार सालों में हमारी सेना ने सीमा पार घुसकर तबाही मचा दी तो आतंंकियों और पाकिस्तानी सेना ने भी हमारा जीना हराम कर दिया। इन्हीं चार सालों में भाजपा जमीन से आसमान पर पहुंच गई और उसका विजयी घोड़ा दौड़ने लगा।इसी चार साल में जीएसटी लागू हुयी जिससे छोटे उद्यमियो की नींद हराम हो गयी।चूंकि अपेक्षाओं उम्मीदों की कोई सीमा नहीं होती है इसलिए इस पर खरा उतर पाना किसी भी सरकार के लिए आसान नहीं होता है।इसके बावजूद चार साल की गतिविधियों से यह स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है कि सरकार की छबि आमलोगों में कितनी सकारत्मक है और कितनी नकारात्मक बनी है। इन चार सालों में प्रदर्शित जनमत संग्रह में तो सरकार बुलंदियों पर थी और उसने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा भी दे दिया है।एक तरह से बीते चार साल देश के भाल को दुनिया में ऊँचा करने के लिये मोदीजी के प्रयास के लिये याद किये जायेंगे। बीते चार साल में मोदी सरकार की तमाम उपलब्धियां सचमुच सराहनीय एवं उल्लेखनीय हैं जिससे देश गौरान्वित हुआ है लेकिन जनापेक्षाओं की तमाम उम्मीदों की दीवारें भी ढहना शुरू हो गई हैं।इन्हीं चार सालों में देश डिजिटल इंडिया बनने लगा और कैशलेस व्यवस्था लागू हो गई।यह बात अलग है कि अभी तक डिजिटल इंडिया बनाने लायक युवा पीढ़ी के बच्चों के लिए पर्याप्त शिक्षकों की व्यवस्था नहीं है। आज भी रोजना दर्जनों नहीं सैकड़ों लोग जानकारी के अभाव में एटीएम और डिजिटल बैकिंग के चलते धोखाधड़ी के शिकार हो रहे हैं। आम जीवन से भ्रष्टाचार मिटाने के लिए चलाई गई आधार आधारित डिजिटल इंडिया के लिये बीते चार साल यादगार रहेगें। धन्यवाद।। भूलचूक गलती माफ।। सुप्रभात / वंदेमातरम् / गुडमार्निंग / नमस्कार / अदाब / शुभकामनाएं।। ऊँ भूर्भुवः स्वः -----/ ऊँ नमः शिवाय।।। भोलानाथ मिश्र वरिष्ठ पत्रकार/समाजसेवी रामसनेहीघाट, बाराबंकी यूपी।


rajaram

Reporter - Khabre Aaj Bhi

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