बच्चों के क्षय रोग की चपेट में आने की संभावना अधिक, अभिभावकों को जागरूक व सतर्क रहने की आवश्यकता

By: Izhar
Mar 04, 2021
307

गाजीपुर:बच्चों में टीबी (क्षय) के लक्षण पहचानना और समय से  इलाज करवाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, क्योंकि बच्चों में वयस्कों की तुलना में रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम होती है। बच्चों का अपनी उम्र के हिसाब से कम बढ़ना या वजन में कमी होना, टीबी के लक्षण हो सकते हैं। यदि बच्चों की भूख, वजन में कमी, दो सप्ताह से अधिक खाँसी, बुखार और रात के समय पसीना आने जैसी समस्या हो रही हों तो इन्हे अनदेखा न करें । यह टीबी के लक्षण  हो सकते  हैं । यह कहना है जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ प्रगति कुमार का

जिला क्षय रोग अधिकारी बताते हैं कि टीबी एक संक्रामक रोग है जो फेफड़ों की टीबी से संक्रमित व्यक्ति के खाँसने या छींकने से फैलता है। वह बताते हैं कि कुपोषित बच्चे में टीबी के जल्दी होने का खतरा रहता है । स्वस्थ बच्चे जब टीबी से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो वह बीमार हो जाते हैं। यदि बच्चे को दो हफ्ते या उससे ज्यादा समय से लगातार खांसी आ रही हो , तो जांच कराना आवश्यक है। वह बताते हैं कि 12 साल से कम उम्र के बच्चों में बलगम नहीं बनता है। इस कारण बच्चों में टीबी का पता लगाना मुश्किल होता है। बच्चे के स्वास्थ्य इतिहास और कांटैक्ट ट्रेसिंग के अनुसार ही उसका पेट से सैंपल (गैस्ट्रिक लवाज़) जांच के आधार पर ही टीबी का पता लगाया जाता है। उन्होने बताया कि इस प्रकार के लक्षण पहचानने के लिए बच्चों के अभिभावकों को जागरूक और सतर्क रहने की बेहद आवश्यकता है । 

इस संबंध में बाल रोग विशेषज्ञ व एसीएमओ डॉ उमेश कुमार बताते हैं कि ज्यादातर लोगों को यह नहीं पता होता है कि टीबी कहीं पर भी हो सकती है। बच्चों में टीबी के 60 फीसदी मामले फेफड़ों से जुड़े होते हैं जबकि बाकी ४० फीसदी फेफड़ों के अतिरिक्त अन्य अंगों में होते हैं। इसके साथ ही ज्यादातर लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि टीबी नाखून  और बाल को छोड़कर कहीं भी हो सकती है। टीबी के मामलों में हर साल बढ़ोतरी हो रही है।एसीएमओ डॉ के के वर्मा ने बताया कि जो बच्चे कुपोषण, कैंसर, डायबिटीज़, एच.आई.वी. या अन्य प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करने वाले रोगों से ग्रसित होते हैं। इसके अलावा जिन बच्चों की माताएँ गर्भावस्था के दौरान टीबी से ग्रसित थीं, जिसने किसी टीबी ग्रसित व्यक्ति के साथ समय बिताया हो आदि। उनमें टीबी से संक्रमित होने की संभावना सबसे अधिक होती है।

बच्चों का टीबी से बचाव

• बच्चे को गंभीर खांसी से पीड़ित लोगों से दूर रखें।

• शिशु को जरूरी टीके समय पर लगवाएं, जिसमें टीबी वैक्सीनेशन के लिए बीसीजी (BCG) टीका शामिल होता है । यह टीका समस्त सरकारी अस्पताल में निःशुल्क लगाया जाता है । 

• टीबी के लक्षण दिखने पर तुंरत बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाएं।

• टीबी दवाइयों का कोर्स बच्चे को जरूर पूरा करवाएं।

जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि बच्चों को विभाग द्वारा दी जाने वाली दवा उनके स्वादानुसार कई फ्लेवर में होती हैं जिसे घोलकर बच्चों को दिया जाता है । बच्चे अपने पसंदीदा फ्लेवर में होने के कारण आसानी से दवा खा लेते हैं।


Izhar

Reporter - Khabre Aaj Bhi

Who will win IPL 2023 ?