टीकाकरण निवारक रोग’ को लेकर हुयी कार्यशाला डब्ल्यूएचओ ने पाँच बीमारियों के बारे में विस्तार से दी जानकारी

By: Khabre Aaj Bhi
Dec 24, 2020
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गाजीपुर : विभिन्न संक्रामक बीमारियों से  बचाव एवं उसके टीकाकरण को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यूएचओ) काफी गंभीर है । इसी को देखते हुए बुधवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के प्रशिक्षण भवन में प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों व नवीन पीएचसी के चिकित्सा अधिकारियों को वैक्सीन प्रिवेंटवुल डिजीज (वीपीडी) अर्थात ‘टीकाकरण निवारक रोग’ को लेकर प्रशिक्षण दिया गया । यह प्रशिक्षण एसीएमओ डॉ उमेश कुमार और डब्ल्यूएचओ के एसएमओ इशांक आगरा द्वारा दिया गया।

इस दौरान डॉ उमेश ने बताया कि प्रशिक्षण में पांच बीमारियों मीजिल्स, डिप्थीरिया, नियोनेटल टिटनस, पोलियो और काली खांसी के वैक्सीनेशन को लेकर जानकारियां दी गई जिसमें इन बीमारियों की पहचान, जांच एवं उपचार के साथ रोकथाम को लेकर प्रशिक्षण दिया गया।

डा॰ ईशान ने बताया कि मीजिल्स के संक्रमण से कई बीमारियां होती हैं। इन बीमारियों से बचाव के लिए नौ महीने से पंद्रह वर्ष तक के सभी बच्चों एवं युवकों का टीकाकरण कराना जरूरी है। उन्होंने कहा कि पहले इन बीमारियों के लिए अलग-अलग टीके लगाने पड़ते थे, लेकिन अब मीजिल्स व रूबेला मिलाकर एमआर टीका बनाया गया है। इसी तरह टिटनेस-डिप्थीरिया (टीडी) का बनाया गया है । टीके लगने से एक साथ पांच से छह बीमारियों से निजात मिलती है। 

डिप्थीरिया क्या होता है?

डिप्थीरिया एक गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण होता है, जो नाक और गले की श्लेष्मा झिल्ली (Mucous membrane) को प्रभावित करता है। डिप्थीरिया आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है, लेकिन डॉक्टर के परामर्श से दवाएं लेने से इससे बचा जा सकता है। डिप्थीरिया के कुछ लक्षण आमतौर पर ज़ुकाम के लक्षणों जैसे होते हैं। डिप्थीरिया के कारण गला खराब, बुखार, ग्रंथियों में सूजन और कमजोरी आदि समस्याएं होती हैं, लेकिन गहरे ग्रे रंग के पदार्थ की एक मोटी परत गले के अंदर जमना, इसकी पहचान का मुख्य लक्षण होता है। 

टेटनस नियोनेटोरम के लक्षण


टेटनस नियोनेटोरम का संकेत लगातार रोना, स्तनपान में समस्या, बुखार, स्वायत्त तंत्रिका तंत्र का असर, मांसपेशियों की ऐंठन आदि इसके लक्षण हैं।पोलियो एक गंभीर बीमारी है, जो किसी व्यक्ति के शरीर को लकवाग्रस्त कर देता है। छोटे बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है, इसलिए इस बीमारी से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा होता है। इसे होने के पहले ही खत्म कर देने के लिए एक से पांच वर्ष तक के बच्चों को पोलियो की दवा पिलाई जाती है । 

काली खांसी श्वसन तंत्र में होने वाला संक्रमण है। यह भी गंभीर रोग है। काली खांसी से प्रभावित व्यक्ति को खांसते समय कफ (बलगम) आता है और सांस लेते समय एक पैनी आवाज़ आती है जो "वूप" जैसी सुनाई देती है। काली खांसी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। यह रोग तीन से छह हफ़्तों तक व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। टीकाकरण ही इसका बचाव है ।  


Khabre Aaj Bhi

Reporter - Khabre Aaj Bhi

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