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by : खान अहमद जावेद
गाजीपुर : जनपद गाजीपुर का प्रसिद्ध क्षेत्र कमसारोबार बहादुरी के लिए काफी प्रसिद्ध क्षेत्र पूरे भारत के लिए रहा है !उसी क्षेत्र के गांव बारा को जंगे आजादी में गांव को अंग्रेजों द्वारा जिस तरह दमन किया गया था । इसकी बहुत कम मिसाल मिलती है । गंगा के किनारे बसा हुआ यह गांव, क्षेत्र कमसारोबार मैं एक अहम मुकाम रखता तू जरूर हैl लेकिन तालीम के चित्र में पूर्वजों ने बारा नेशनल इंटर कॉलेज खोलकर तालीम के मैदान में कोशिश तो जरूर किया थाl लेकिन वह सफलता नहीं मिली जो मिलनी चाहिए थी।
आज से कई वर्ष पहले इसी गांव के अबुलेस खान आईपीएस बन कर कोलकाता में रहने वाले गाजीपुर के लोगों का सर बुलंद किया था । आज दूसरी बार कमसारोबार क्षेत्र में बारा गांव के निवासी हिसामुद्दीन के बड़े पुत्र शम्स तबरेज खान ने उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन २०१८के ४२ वां रैंक पाकर एसडीएम बंद कर पूरे क्षेत्र के नौजवानों के दिलों को रोशन कर दिया है । हिसामुद्दीन खान ईस्टर्न रेलवे के मुगलसराय में लोको पायलट ड्राइवर हैं lऔर अपनी ईमानदारी के लिए अपने डिपार्टमेंट में काफी प्रसिद्ध हैl उसी का नतीजा है छोटा बच्चा मोहम्मद गुलरेज भी कानपुर से बीटेक करने के बाद पब्लिक सर्विस कमीशन की तैयारी कर रहा है तो दूसरी तरफ बड़ी बच्ची डॉक्टर ताहमीन एमबीबीएस अलीगढ़ से करने के बाद दिल्ली के सफदरगंज हॉस्पिटल से एमडी कर रही हैं और तीसरी बच्ची अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से बीएससी के अंतिम वर्ष में है ।
शम्स तबरेज ने अपनी पढ़ाई गांव के इकरा मॉडल स्कूल से शुरू किया था और केंद्रीय विद्यालय मुगलसराय से २००७ में हाई स्कूल पास करने के बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया और यहीं से वर्ष २०१०/२०१४मैं बीटेक करने के बाद तैयारी में लग गए । दो बार आईएएस में सफलता के बाद इंटरव्यू में असफल करार दिया गया था।लेकिन हिम्मत नहीं हारी और इस बार पहली बार पिता के कहने पर इम्तिहान दिया और कामयाबी हाथ लगी।
शम्स तबरेज ने दूरभाष पर बताया। मुझे इस मंजिल में पहुंचाने की ख्वाब मरहूम मामू जो कोलकाता में खान निसार गाजीपुरी के नाम से मशहूर शायर थेl उनकी और वालिद मोहतरम की दुआओं का नतीजा है।जब मैं कभी ना कामयाब हुआ तो हिम्मत देने में कभी भी कमी नहीं की और कहां "नाकामयाबी और कामयाबी में अल्लाह की मस्लत होती है। "
वालिद मोहतरम हिसामुद्दीन खान का कहना था मैंने बच्चे से कह दिया है किसी से डरना नहीं तुम्हारा आइडियल मोहम्मद सल्लल्लाहो सल्लम है। इनको पकड़ के रखना यह दुनिया फानी है। हमारा पुश्तैनी घर मोहम्मदाबाद तहसील अंतर्गत ग्राम महेंद्र है । पहले अधिक बाढ़ आया करता था इसलिए 1975 में हम बारा में आ गए थे।
पूर्व डीजीपी मोहम्मद वजीर अंसारी भोपाल से दूरभाष पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि जिला गाजीपुर के कमसारोबार क्षेत्र के लिए खुशी की बात तो जरूर है । लेकिन अपनी आबादी के लिहाज से और मेहनत करने की जरूरत हैl लगभग ९७६ बच्चों में मात्र ३२ अपनी बच्चों की कामयाबी ,२० % आबादी की तुलना में काफी कम है! इसके लिए डबल मेहनत की जरूरत हैl
जनपद गाजीपुर के मशहूर कोलकाता मैं मौजूद लेखक और कवि डॉ सिराज अहमद खान बातिश का कहना था कि इस क्षेत्र के लिए खुशी की बात तो जरूर हैl लेकिन इसी गांव के आईपीएस अपने आपको गाजीपुर का नहीं बताते थे।
एन॰टी॰एस॰ ई परीक्षा के लिए प्रसिद्ध शम्स मॉडल स्कूल, मुर्की खुर्द ,गाजीपुर की प्रिंसिपल राजदा खातून का कहना है कि एसडीएम शम्स तबरेज ,जज हुस्ना खान और लेफ्टिनेंट साहिबा खान ने बच्चे और बच्चियों के अंदर एक नई जोश को भरा है! इसके लिए इनको और इन के मां और बाप को पूरे क्षेत्र की जानिब से मुबारकबाद पेश हैl गांव के मौजूदा प्रधान गुड्डू खान ,पूर्व प्रधान नससन खान, हैदर अली खान (कारोबीर) मैनेजर अली शेर खान, इसलाहेमासर सदर अलहाज अब्दुल कलाम खान, फरीद अहमद गाजी ,मुफ्ती मोहम्मद इनाम कासमी आदि के साथ साथ पूरा गांव इस कामयाबी पर झूम रहा हैl
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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