To view this video please enable JavaScript, and consider upgrading to a web browser that supports HTML5 video
लखनऊ, यूपी आज़मगढ़ ज़िले के सरायमीर कस्बे में करीब 10 दिन पहले हुए बवाल के बाद अब पूरी तरह से शांति है। कस्बे में व्यवासायिक गतिविधियां आम दिनों की तरह शुरु हो गई हैं। लोग एक दूसरे से मिलने जुलने लगे हैं। दरअसल ज़िले में आए नये कप्तान रविशंकर छवि ने अपनी आमद के दूसरे दिन ही सरायमीर थाने में पीस कमेटी की मीटिंग की। उन्होंने आम लोगों में पुलिस के खिलाफ गुस्से को समझा और भरोसा दिलाया कि किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। पर उन लोगों का क्या… जिनके अपने बेकसूर होते हुए भी जेल भेज में बंद हैं। इस दौरान उन पर क्या गुज़री और ऐसे तनाव भरे मौके पर ज़िलो के नेताओं ने क्या भूमिका निभाई। ये सवाल हर तरफ मुंह बाए कड़ा है। सरायमीर कस्बे में फैयाज़ अहमद रहते हैं। उनकी बटर-टोस की दुकान है। एक बेटा है जिसकी उम्र 15 साल है। बवाल वाले दिन वो स्कूल से लौटा और रोज़ की तरह अपने पिता की दुकान पर उनका हाथ बंटाने पहुंचा ही थी कि पुलिस ने उसे उठा लिया। वो अभी जेल में बंद है और उसका इंतेहान छूट गया। 15 साल के उमर (बदला हुआ नाम) को पुलिस ने कहां रखा इस बात की जानकारी उसके पिता फैयाज़ को नहीं थी। पीएनएस से बातचीत में फैयाज़ अहमद का दर्द छलक उठता है। कहते हैं कि जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही बेटा गायब है, किसी को कोई खबर नहीं। न कोई नेता आर रहा है और नही हमारी हिम्मत की हम थाने जाकर पता करे। बेटे की मां का हाल बहुत बुरा है… वो रो-रो कर सिर्फ बेटे की सलामती की दुआ मांग रही है। हमें तो उस दौरान खाने तो छोड़िए हलक से पानी की धूंट भी नहीं उतर रही थी। सरायमीर पुलिस ने 17 लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें से कुछ को काफी मारा-पीटा। अब दो लोग अस्पताल में भर्ती हैं। हर परिवार का दर्द है… दरअसल गिरफ्तार ज़्यादातर लोग दुकानदार या फिर फेरी वाले हैं। कई घरों में खाने को लाले पड़े हैं।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
0 followers
0 Subscribers