अमेरिकी डॉलर का ख़्वाब रह गया अधूरा,वापस भेजे गए अपने-अपने देश

By: Khabre Aaj Bhi
Feb 07, 2025
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अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड जॉन ट्रम्प के आदेश के बाद अमेरिका में रह रहे अवैध आप्रवासियों को अमेरिकी प्रशासन वापस भेज रहा है वापस उनके देश

वापस यानी डिपोर्ट किए गए ऐसे सभी लोग अब अमेरिका का वैध वीज़ा भी नहीं कर सकेंगे हासिल, अब कभी नहीं जा पाएंगे अमेरिका

By : तौसीफ़ गोया


गाजीपुर  : डॉन्की (डॉन्की शब्द का मतलब एक पंजाबी मुहावरे से बना है, जिसका अर्थ है कि 'एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना'. सहज शब्दों में कहूं, तो जब लोगों को अलग-अलग देशों में रुकते-रुकाते हुए अवैध तरीक़े से बाहरी मुल्कों में भेजा जाता है, तो उसे डॉन्की रूट कहते हैं) रूट के ज़रिए चोरी-छुपे भारत छोड़ कर अमेरिका में जाकर अवैध रूप से रह रहे भारतीयों की पहली खेप को अमेरिका ने सैन्य विमान से हथकड़ी और बेड़ियां लगाकर भेजा. ये दृश्य देखने में बुरा भले ही लगे, लेकिन कोई भी घुसपैठिया संदिग्ध ही होता है. वह अपना वतन छोड़ कर केवल धन कमाने और ग्लैमर के लालच में किसी देश में अवैध रूप से घुसता है. शायद ऐसे तत्वों को शॉल, श्रीफल और उपहार देकर विदा नहीं किया जा सकता.

जिन लोगों को अमेरिका ने लतिया कर निकाला, वे लोग लाखों रुपए फूंक कर अवैध मार्गों से अमेरिका में घुसे थे. मिसाल के तौर पर एक व्यक्ति अपनी पत्नी और दो छोटे बच्चों को घर छोड़ कर 42 लाख रुपए ख़र्च कर डॉन्की रूट से दो महीने पहले ही अमेरिका पहुंचा था, जिसे भी कल हथकड़ी, बेड़ी लगा कर वापस भेज दिया गया. 42 लाख रुपए एक ऐसी रक़म है, जिससे भारत में ही कोई भी काम धंधा किया जा सकता था.

विदेश भागने की प्रवृत्ति ठीक वैसी ही है, जैसे हीरो या हीरोइन बनने के लिए गांव से फ़िल्म सिटी भागने की प्रवृत्ति. हीरो हीरोइन नहीं भी बने, तो अंत में कोई भी छोटा-मोटा काम धंधा, जिसे गांव में करते तो शर्म आती, करके फ़िल्म सिटी पड़े रहते हैं. फिर कभी-कभी गांव लौट कर झूठा दिखावा करते हैं कि मुंबई में बढ़िया सैटल हो गए हैं.

विदेश जाने वाले अधिकांश लोग भी वहां मज़दूरी ही कर रहे हैं. टैक्सी ड्राइवर, ट्रक ड्राइवर यानी व्हीकल ड्राइवर, घरों में कपड़े-बर्तन-झाड़ू यानी हाउस कीपिंग, स्टोर दुकान पर कर्मचारी यानी सेल्समैन, किसी कंपनी में थर्ड-फोर्थ ग्रेड की नौकरी यानी सर्विस जैसे काम ही अधिकांश लोग करते हैं. लेकिन एक फितूर है विदेश जाकर रहने का, तो अवैध रूप से जा रहे हैं.

बतौर लेखक मेरा अभिमत है कि सरकारों को अब ध्यान उन ट्रैवल एजेंसियों को पकड़ने और उन पर मुक़दमा चलाने पर होना चाहिए, जिन्होंने इन लोगों को अवैध तरीक़े से अमेरिका भेजा. ऐसे दलालों उर्फ़ एजेंट्स को क़ानूनी कार्रवाई का सामना करना चाहिए. ये ऐसे लोग हैं, जिन्होंने इन लोगों को अवैध तरीक़े से वहां भेजने में अहम भूमिका निभाई. इन निर्वासित लोगों में से अधिकांश कम पढ़े-लिखे या फिर अन-पढ़ लोग शामिल होंगे. फर्जी कागजात बनाने में इनका हाथ नहीं होगा.

रिपोर्ट्स बताते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड जॉन ट्रम्प अवैध प्रवासियों को लेकर इतने गंभीर हैं कि उन्होंने यहां तक कह दिया है कि उनके फेडरल ट्रूप्स या फेडरल डिपार्टमेंट उन राज्य अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करेंगे, जिन्होंने अवैध प्रवासियों को बसाने में मदद की है. इस बार बस इतना फर्क है कि उन्होंने अवैध प्रवासियों को संबंधित देश में भेजने के लिए चार्टर प्लेन की जगह सैन्य विमान का इस्तेमाल किया है.

जानकारों की राय में जिन्हें अवैध प्रवासी के रूप में निर्वासित किया गया है, वे अमेरिका वापस नहीं जा पाएंगे. जब भी आप वीजा फॉर्म भरते हैं, तो एक कॉलम होता है, जिसमें पूछा जाता है कि क्या आप को कभी निर्वासित किया गया है. एक बार निर्वासन का दाग लग जाने के बाद अधिकांश देश ऐसे लोगों को वीजा नहीं देते. विशेष रूप से अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्रेटन, शेंगेन (यूरोपीय) जैसे देश ऐसे किसी भी व्यक्ति को वीज़ा नहीं देते हैं, जिन्हें अवैध प्रवासी के रूप में निर्वासित किया गया हो.

दलालों के द्वारा डॉलर कमाने के दिखाए गए सलोने सपनों में फंसने के बाद खेत गिरवी रख कर, खेत बेच कर, गहने बेच कर, रिश्तेदारों से रुपए उधार लेकर, सूद पर रुपए उधार लेकर डॉलर कमाने के चक्कर में अवैध तरीक़े से अमेरिका पहुंचने और फिर वहां से मूल देश भगाए गए लोगों पर दुःखों का पहाड़ टूट गया है.

मालूम हो कि अवैध आप्रवासी उस विदेशी व्यक्ति को कहते हैं, जो बिना समुचित दस्तावेजों के किसी देश में प्रवेश कर गया है या जिसके पास पहले वैध दस्तावेज थे, किन्तु वह निर्धारित अवधि से अधिक अवधि उस देश में रह रहा हो.

[पेशे से शिक्षक लेखक तौसीफ़ गोया स्तम्भकार, टिप्पणीकार, विश्लेषक और चिंतक हैं. विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में बहुप्रकाशित.]


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Reporter - Khabre Aaj Bhi

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