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आगरा : बाबा साहब अंबेडकर ने 2 दिसंबर 1948 को संविधान सभा के भाषण में कहा था कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के बारे में सोचने वाली कोई भी सरकार पागल सरकार ही कही जाएगी। इसलिए अगर मोदी सरकार ऐसा कुछ सोच भी रही है तो उसे एक पागल और बाबा साहब अंबेडकर के विचारों की विरोधी सरकार ही माना जाएगा। ये बातें अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 101वीं कड़ी में कहीं।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि 21वें लॉ कमीशन ने भी बाबा साहेब अंबेडकर के इस विचार से सहमति जताते हुए 31 अगस्त 2018 को 'परिवार कानून सुधार पर परामर्श पत्र' के पैरा 1•15 में कहा था- "जब भारतीय संस्कृति की विविधता का जश्न मनाया जा सकता है और मनाया जाना चाहिए तब इस प्रक्रिया में विशेष समूहों या समाज के कमज़ोर वर्गों को वंचित नहीं किया जाना चाहिए। समान नागरिक संहिता न तो इस स्टेज पर ज़रूरी है और न ही वांछित। अधिकांश देश अब अनेकताओ की मान्यता की ओर बढ़ रहे हैं और इसका अस्तित्व भेदभाव नहीं है, बल्कि यह एक मजबूत लोकतंत्र का संकेत है।"
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अगर 22 वां लॉ कमीशन 21 वें लॉ कमीशन के विपरीत सोच रखता है तो इसे लॉ कमीशन का सरकार के विभाजनकारी एजेंडे के आगे बिछ जाना ही कहा जाएगा। उन्होंने कहा कि यह नहीं भूलना चाहिए कि लॉ कमीशन के प्रमुख ऋतु राज अवस्थी कर्नाटक उच्च न्यायालय के वही मुख्य न्यायाधीश हैं जिन्होंने हिजाब के खिलाफ़ फैसला दिया था। वहीं लॉ कमीशन के दूसरे जज के टी संकरन केरल हाई कोर्ट के वही जज हैं जिन्होंने संघ और भाजपा की अफवाह फैक्टरी में निर्मित 'लव जेहाद' शब्द को क़ानूनी मान्यता देने की नीयत से अपने एक फैसले में 'लव जिहाद' की घटनाओं की जाँच का आदेश दिया था।शाहनवाज़ आलम ने कहा कि भाजपा के पास अब आम लोग नहीं बचे हैं। वह सिर्फ़ मीडिया के एक हिस्से के भरोसे ही है। लेकिन लोग अब इस झांसे में भी नहीं आने वाले हैं और 2024 में जनता ने राहुल गाँधी को प्रधानमन्त्री बनाने का मन बना लिया है।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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