To view this video please enable JavaScript, and consider upgrading to a web browser that supports HTML5 video
सवाल यह उठता है कि बेटी बढ़ाओ बेटी बचाओ की सरकारी योजना का क्या हुआ?
क्या ऐसे ही बेटी को मां पढ़ाने के लिए किसी गेट की रोशनी में पढ़ाती हुई मिलेगी?
क्या ऐसे ही प्रतिभा टूटती हुई मिलेगी?
क्या ऐसे ही देश की बेटी अभावों में जीने को मजबूर होगी?
गाज़ीपुर : अब्राहम लिंकन को जिसने भी पढ़ा होगा वह जानता होगा कि अमेरिका के 16 वे राष्ट्रपति ने अपने बचपन की पढ़ाई चांद की रोशनी मेंकी है। बिहार के सोनू को तो आप सभी जानते ही होंगे। सोनू वही बच्चा है जिसने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने आंख मिलाकर आने पढ़ाई की बात की थी। और अपने आईएएस बनने के सपने को पूरी दुनिया के सामने लाया था। अभी वह सोनू अपने सपने को साकार करने में लगा हुआ है और उसका एडमिशन एलेन कोचिंग में हुआ है।
उत्तर प्रदेश जनपद गाज़ीपुर में भी सोनू की तरह ही एक मेहनती और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित लड़की पर नजर पड़ी। वह लड़की गाज़ीपुर जनपद के सीएमओ डॉ0 हरगोविंद सिंह के आवास पर बाहर लगे गेट के सामने जमीन पर बैठकर पढ़ रही थी। मैंने जब उस लड़की से जसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम पहले हिंदी में खुशी रावत बताया। खुशी गाज़ीपुर जनपद के गोराबाजार की ही रहने वाली है। लेकिन तुरन्त ही उसने अंग्रेजी में भी अपना नाम My Name is Khushi Rawat बता दिया। मुझे खुशी हुई।
फिर मैंने उसके विद्यालय का नाम पूछा उसने बताया कि वह गाज़ीपुर के गोराबाजार स्थित राधिका देवी पूर्व माध्यमिक विद्यालय में कक्षा 6ठी की छात्रा है।आगे बात करने पर उसने बताया कि सरकारी विद्यालय में वह नहीं पढ़ी क्योंकि सरकारी विद्यालय में अच्छी पढ़ाई नहीं होती है और मैम लोग ठीक से नहीं पढ़ातीं हैं। उसने यह भी बताया कि सारे बच्चे राधिका पूर्व माध्यमिक विद्यालय में पढ़ने चले गए हैं। खुशी से उसके परिवार के बारे में बात करने पर उसने बताया कि उसके पिता श्री राजेश रावत मजदूरी का काम करते हैं। उसके घर पर बिजली नहीं है जिसकी वजह से वह रोज सीएमओ आवास के गेट पर आकर नीचे जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर है। खुशी की एक और बहन है जिसकी पढ़ाई अभावों के चलते 8वीं तक ही हुई है। उसकी माँ ने बताया कि जितना तक पढ़े बेटी को पढ़ाना है।
लेकिन जब हमने खुशी से इस संबंध में बात की कि आगे बढ़कर क्या करना है तो उसने बताया कि वह पहले डॉ बनना चाहती है। पैसे की कमी है और जब पैसा आ जायेगा तो अपने पैर पर खड़े होकर उसके बाद वह आईएएस बनेगी।खुशी की हैंडराइटिंग हमने देखी अपने समकक्ष छात्रों की तुलना में उसकी हैंडराइटिंग अच्छी है। अंग्रेजी में भी अच्छी है। वहीं खुशी की हिंदी की राइटिंग भी अच्छी है। इसके अलावा खुशी को चित्रकला भी पसंद है। खुशी ने हमें भारत का नक्शा बनाया हुआ दिखाया।
सवाल यह उठता है कि बेटी बढ़ाओ बेटी बचाओ की सरकारी योजना का क्या हुआ? क्या ऐसे ही बेटी को मां पढ़ाने के लिए किसी गेट की रोशनी में पढ़ाती हुई मिलेगी? क्या ऐसे ही प्रतिभा टूटती हुई मिलेगी? क्या ऐसे ही देश की बेटी अभावों में जीने को मजबूर होगी ?
अब देखना यह है कि नवागत जिलाधिकारी आर्यका अखौरी इस मामले को कितनी गंभीरता से लेतीं है और साथ ही शासन और प्रशासन इस मामले पर आगे क्या करता है।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
0 followers
0 Subscribers