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By : तनवीर खान
गाजीपुर : 21 से लेकर 24 जुलाई तक, उदयपुर में 6 वी इंटरनेशनल कॉर्टिकोबसेल इम्प्लांट कॉन्फ्रेंस का हुआ, जिसमे शहर के जाने माने दंत चिकित्सक डॉ राजकुमार आर चौबे ने भाग लिया और अपना व्यख्यान दिया, देश और विदेश से आये हुए डॉक्टरों ने भी अपना वख्यान दिया। मुख्यतः डॉ अन्टोनीना इहडे ने बताया कि अगर आप लोग इम्प्लांट के सिद्धान्त को ध्यान दिया तो जो इम्प्लांट 5-6 महीने में लगते थे वो केवल 72 घंटे में ही लग जाता हैं। सबसे अच्छी बात यह है को इसमें मसूड़ो को हटाने की जरूरत नही पड़ती, ब्लड भी कम या ना के बराबर आता है, कभी कभी हड्डी की कमी के कारण फिक्स्ड दाँत नही लग पाते है, लेकिन इस कोर्टिकल बैसल इम्प्लांट प्रक्रिया से ऐसे लोगो के मुँह मे भी दाँत मात्र 3 दिन में ही लग जाएंगे।
डॉ राजकुमार आर चौबे ने बताया कि इम्प्लांट फाउंडेशन सोसाइटी द्वारा आयोजित जिसमे सिम्पलाडेंट कंपनी के इम्प्लांट इस ईलाज में बहुत कारगार है। इस तरह के ईलाज डॉ चौबे द्वारा उनके अस्पताल में अक्सर होते रहते है।टाइटेनियम से बने इस इम्प्लांट के लगने के बाद सामान्य लोगों की तरह खाना खाया जा सकेगा। साथ ही दांतों की वजह से उनका चेहरा भी सही दिखेगा। सर्वप्रथम हड्डी में छेद किया जाता है। इसके बाद इन इम्प्लांट को वहां लगा दिया जाता है। इसके ऊपर दांत लगाए जाते हैं। बाई- कर्टिकल तकनीक से अब ऐसे बच्चे जिनमें पैदाइशी विकृति के कारण दांत न निकले और मसूढ़े भी न हों, उन्हें दांत लगाया जा सकता है। यह डॉ स्टीफन इहडे डेंटल, जर्मनी द्वारा निर्मित एक सिंगल पीस, पॉलिश्ड सतह, बेंडेबल इम्प्लांट है। इस इम्प्लांट से फुल माउथ रिहैबिलिटेशन, सेगमेंट और सिंगल टूथ लॉस से लेकर कई तरह के मामलों का प्रबंधन किया जाता है।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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