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उसिया : (गाजीपुर) रमजान के पाक महीने में इबादत गुजार बंदे पहली रात से ही अपने माबूद को मनाने उसकी इबादत करने में जुट जाते हैं ।
रमजान के मुकद्दस महीने का अशरा जुमा की साम से शुरू हो गया है। इस अशरें में बड़ी फजीलत है। रमजान इन नेक बंदो के लिए शबे_ए_ कद्र परवरदिगार का अनमोल तोहफा है कुरान में इसे हजार सालों से श्रेष्ठ रात बताया गया है यह बातें कारी परवेज खान ने कहा कि श्रद्धा और इमान के साथ इस रात में इबादत करने वालो के पिछले गुनाह माफ कर दिए जाते हैं । वहां छोटे गुनाह बक्स दिए जाने से मुराद होती है रसूल अल्लाह ने शबे _ए_कद्र के लिए रमजान की 21,23 ,25, 27,व 29वी रात बताई इन रातों में रात भर मुख्तलिफ इबादते की जाती हैं जिनमें नफिल नमाज पढ़ना, कुरान पढ़ना, मुख्तलिफ तशबीहात ( जाप) पढ़ाना अहम है। रमजान में खुदा की रहमत पूरे जोश पर होती है । शबे कद्र यानी हजार साल रातों से बेहतर रात हैं। इस रात में कुरान उतारा गया और इसी शब में अनगिनत लोगों को माफी दी जाती है। उलेमा के मुताबीक रमजान मुबारक को इबादत को लिहाज से तीन हिस्सो में बांटा गया है। जिसमें पहला अशरा रहमत व दूसरा अशरा मगफिरत और तीसरा व आखिरी अशरा जहान्नुम यानी दोजख से आजादी का होता हैं। इसी अशरे में लैलतुल क़द्र यानी शब-ए-कद्र की रात भी होती हैं।जिसकी तलाश हर मुसलमान मस्जिदों में पूरी रात में अल्लाह की इबादत व कुरआन की तिलावत कर करते हैं। हमारे प्यारे नबी हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो सल्लम फरमाते हैं कि रमजान मोमिनो के लिए रहमत बरकत और मगफिरत के लिए खुदा की तरफ से हम सब के लिए खुदा का प्यारा सा तोहफा है और आखरी अशरा जहन्नम की आग से निजात पाने का है।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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