चीन का बहिष्कार हो: भारत तिब्बत समन्वय संघ

By: Khabre Aaj Bhi
Sep 19, 2021
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By: नवनीत मिश्र 

शिमला/संत कबीर नगर भारत तिब्बत समन्वय संघ द्वारा आज शिमला के प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। चीन द्वारा अपने देश के विभिन्न प्रांतों में मानवाधिकारों के हनन, तिब्बत में किये जा रहे अत्याचारों के विरोध में, भारत की सीमा पर अतिक्रमण करने के कुख्यात विस्तारवादी मंसूबों के विरोध में, पूरे विश्व से कोरोना महामारी के माध्यम से जैविक युद्ध द्वारा क्षति पहुंचने के कारण संघ द्वारा सरकार और समाज से २०२२ में बीजिंग में आयोजित किये जा रहे विंटर ओलम्पिक का बॉयकॉट करने की मांग की गई।

चीन में आयोजित हो रहे विंटर ओलम्पिक का बॉयकॉट करने की ऑस्ट्रेलिया व जर्मनी समेत दुनिया के कई देशों में उठनी शुरु हो गई है। दुनिया में कई जगहों पर मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले सगठनों द्वारा इस सम्बन्ध में प्रदर्शन किये जा रहे हैं और चीन के विरोध में आवाज उठाई जा रही है। ऐसे में भारत में पहली बार विंटर ओलम्पिक का बॉयकॉट करने की मांग भारत तिब्बत समन्वय संघ द्वारा शिमला में आयोजित इस प्रेस वार्ता में पुरजोर तरीके से रखी गई। हिमाचल प्रदेश में आयोजित इस प्रेस वार्ता में की गई मांग का महत्व इसलिए भी अधिक बढ़ जाता है क्योंकि तिब्बत के धर्मगुरु परम पावन दलाई लामा और तिब्बत की निर्वासित सरकार हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में ही स्थित है।  वही देश के केंद्रीय खेल मंत्री श्री अनुराग ठाकुर भी हिमाचल प्रदेश से ही आते हैं।

चीन हजारों वर्षों पुरानी सभ्यता वाले तिब्बत के भौगौलिक भूभाग पर नाजायज कब्जा करके बैठा हुआ है और वहां पर नस्ल के आधार पर तिब्बती मूल के लोगों के नरसंहार में शामिल रहा है। 1962 के भारत चीन युद्ध में चीन हमसे हमारी हजारों वर्ग किलोमीटर की जमीन चीन ने हमसे छीन ली थी। जिसमें कि हमारे आराध्य भगवान शिव का मूल स्थान कैलाश मानसरोवर भी शामिल है। चीन द्वारा तिब्बत को स्वतंत्र करने तथा भारत कब्जाई हुई भूमि भारत को वापस लौटाने की मांग भी प्रेस वार्ता में दोहराई गई।

चीन का आर्थिक बहिष्कार प्रारम्भ करने के क्रम में संघ ने प्रेसवार्ता के दौरान यह भी मांग उठाई कि सरकार व देश के उद्योगपति इस बात के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें चीन से किसी भी प्रकार का आयात न करके देश में ही विभिन्न वस्तुओं का निर्माण प्रारम्भ किया जाए। एक उपभोक्ता के रूप में देश के नागरिक भी सामने आये और संकल्प लें कि चीन में बने उत्पादों का मोह छोड़ कर स्वदेशी उत्पादों का ही उपयोग करेंगे। ऐसा करने से न केवल देश के उद्योग धंधों को बढ़ावा मिलेगा बल्कि भारत के कई लोगों को रोजगार भी हासिल होगा।

वर्तमान में कई उत्पादों का निर्माण चीन में होता हैं और उनकी असेम्ब्लिंग भारत में की जाती है। जो आर्थिक और रोजगार की दृष्टि से भारत के लिए घाटे का सौदा साबित होती है। विनिर्माण के क्षेत्र में चीन के इस वर्चस्व को तोड़ने के लिए सरकार, कॉर्पोरेट जगत और देश के नागरिकों द्वारा संयुक्त रूप से प्रयास किये जाने की जरुरत है।

बीटीएसएस का संक्षिप्त परिचय

बीटीएसएस के आद्य प्रणेता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चौथे सरसंघचालक प्रोफेसर राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) ने १९९६ में श्री हेमेंद्र तोमर जी को तिब्बत व कैलाश-मानसरोवर के हित में चीन के विरुद्ध आक्रामक रूप से कार्य करने की प्रेरणा दी। उन्होंने उसी समय कहा था कि चीन एक समय बाद पूरी दुनिया को निगलने में अमानवीय बन जाएगा। इसके लिए भारत को ही क्रांति करनी होगी। भारत के लोग ही यह काम कर सकते हैं इसलिए आक्रामकता से लगना होगा। इसके बाद हेमेंद्र जी ने तिब्बत आंदोलन से जुड़े कई संगठनों को करीब से देखा। लगा कि दशा ठीक नहीं है क्योंकि दिशा ही नहीं है। उसके बाद वर्ष २०१८ में सीटीए के बुलावे पर श्री तोमर परम पूज्य पावन दलाई लामा जी से मिलने धर्मशाला गए। परम पावन ने कहा कि तिब्बत की स्वतंत्रता भारत ही दिला सकता है क्योंकि भारत हमारा गुरु है।

इन बातों से स्पष्ट हुआ कि भारत के लोगों को तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए लगना होगा। वह भी आक्रामक रूप से। अगर तिब्बत आजाद हो गया तो हमें भगवान शंकर जी का मूल स्थान भी प्राप्त होगा और चीन से हर रोज मिलने वाली मानसिक यंत्रणा से मुक्ति भी मिलेगी। बाद के परिदृश्य में देखें तो जिस तरह से कोरोना वायरस चीन ने दिया, हम सब पूरी दुनिया के लोग तबाह होने लगे। बहुत सारे योग्य और जरूरी लोगों की हत्या चीन ने की और दुनिया में सुपर पॉवर कहे जाने वाले देश भी उसके यहां जाकर जांच करने का साहस नहीं बटोर पाए इसलिए लगा की समग्रता में हमें चीन पर अब हमला करना ही होगा और यह भारत ही कर सकता है। भारत के लोग ही कर सकते हैं और भारत कर भी रहा है। सरकारें भी अपनी जनता का दबाव देख कर निर्णय लेती है इसलिए विश्व स्तर पर चीन की दुष्टता के विरुद्ध काम करने के लिए भारत तिब्बत समन्वय संघ की स्थापना इसी वर्ष मकर संक्रांति यानी १४  जनवरी, २०२१ को हुई।

देश में अपने-अपने जिलों में कार्यकर्ताओं ने शिवलिंग के समक्ष संकल्प लेते हुए संगठन की स्थापना पर आशीर्वाद मांगा। सरकारी औपचारिकता के निमित्त मार्च, २०२१ में हमने पंजीकरण करा लिया। देश के लगभग हर प्रांत में हमारी कई अब काम कर रही है। देश में बहुत से साधु-संत हमारे साथ हैं। बीटीएसएस मूलतः आरएसएस के विचार मूल्यों को आत्मसात करते हुए स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाला संगठन है और हम दुनिया के एकमात्र आक्रामक संगठन हैं, जो चीन के विरुद्ध कार्य करने के लिए बना है। समाज के विभिन्न वर्गों से आए हुए लोगों में हमारे पास सर्वाधिक संख्या सैन्य अधिकारियों, अकादमिक लोगों, पत्रकारों, वकीलों की है। केंद्रीय स्तर पर राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रोफेसर प्रयाग दत्त जुयाल जी जबलपुर विश्वविद्यालय के पूर्व वीसी हैं। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष में मेजर जनरल श्री संजय सोई,  पूर्व रॉ अधिकारी श्री एन के सूद,एयर वाइस मार्शल आर के तिवारी, पूर्व भाजयुमो राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रामाशीष राय हैं।

राष्ट्रीय महामंत्री में आरएसएस के पूर्व प्रचारक श्री विजय मान है और श्री अरविंद केसरी हैं। हमारी केंद्रीय परामर्शदात्री समिति में दो वर्तमान वाइस चांसलर, एक प्रो वीसी, चार पूर्व वीसी हैं, झारखंड के डीजीपी रहे श्री डी के पांडे भी हैं, कई वैज्ञानिक भी हैं। बाकी विविध क्षेत्रों से हैं। इसी प्रकार महिला इकाई की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती नामग्याल सेकी जी भी तिब्बती मूल की हैं। संगठन के नाम के अनुरूप हम भारत वर्ष के लोग तिब्बत के लोगों से  मिल कर चीन से सीधे निर्णायक युद्ध में लग गए हैं।

"भारत-तिब्बत समन्वय संघ" चीन से भारत को सुरक्षित करने के लिए तिब्बत की स्वतंत्रता व बाबा भोले के मूल गांव कैलाश-मानसरोवर की मुक्ति के लिए कार्य करने वाला जाग्रत संगठन है। आइये, देश और धर्म की रक्षा के लिए उठ खड़े हों। 



Khabre Aaj Bhi

Reporter - Khabre Aaj Bhi

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