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ग़ाज़ीपुर : नवजात को छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराना चाहिए। इसके अलावा उसे किसी भी प्रकार का तरल पदार्थ नहीं देना चाहिए। यहाँ तक की पानी भी नहीं, क्योंकि माँ के दूध में ही सभी पोषक तत्व पाये जाते हैं। इसलिए छह माह तक बच्चों के लिए मां का दूध ही अमृत के समान है। इसी को लेकर बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के द्वारा एक अगस्त से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाएगा, जिसके अंतर्गत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर परिजन व मां को छह माह तक सिर्फ स्तनपान के लिए जागरूक करेंगी। स्तनपान से नवजात को कई बीमारियों से बचाया जा सकता है। ऐसे में यदि शिशु स्वस्थ होगा तभी स्वस्थ समाज की कल्पना कर सकते हैं।
जिला कार्यक्रम अधिकारी दिलीप कुमार पांडे ने बताया - स्तनपान शिशु की वृद्धि व विकास के लिए आदर्श व्यवहार है। स्तनपान शिशु का पहला टीकाकरण है जो उसे मानसिक तथा शारीरिक रूप से स्वस्थ रखता है। मां के दूध में पाए जाने वाले पोषक तत्व शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं तथा उसको बाल्यावस्था में होने वाली कई बीमारियों से बचाते हैं। इन्हीं सब को देखते हुए अगस्त के पहले सप्ताह को विश्व स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाएगा। विभाग के ४१२७ आंगनबाड़ी केंद्रों पर कार्यरत ३८३५ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गांव-गांव लोगों के घर जाएंगी और जिनके घर में छह माह से छोटे बच्चे होंगे उन्हें स्तनपान से होने वाले लाभ के बारे में बता कर जागरुक करेंगी। उन्होंने बताया कि इस साल विश्व स्तनपान सप्ताह की थीम "स्तनपान सुरक्षा की जिम्मेदारी, साझा जिम्मेदारी" पर केंद्रित है।
बाल रोग विशेषज्ञ और मनिहारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधीक्षक डॉ प्रभाकर ने बताया कि नवजात के घर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पहुंचकर संदेश देने का काम करेंगे कि सभी धात्री माताएं सावधानियां अपनाते हुए कोविड-१९ के दौरान भी स्तनपान जारी रखें। यह सबसे सुरक्षित और उचित विकल्प है। साफ़ हाथों से ही नवजात को छुएं , हाथों को साबुन से कम से कम ४० सेकंड तक साफ करें। मां दूध पिलाते समय नाक व मुंह पर मास्क लगाए। यदि संक्रमण की पुष्टि हो गई है और संभावित संक्रमण है तो अनिवार्य रूप से मास्क लगाएं। इसके अलावा जिस सतह पर बैठकर वह दूध पिला रही हैं तो उसको साफ रखें या सेनेटाइज जरूर करें। यदि किसी कारणवश मां बीमार है और दूध पिलाने में असमर्थ है तो परिवार के सहयोग से दूध को साफ हाथ से कटोरी में निकालते हुए चम्मच से पिलाए। यदि मां के लिए बिल्कुल संभव नहीं है तो वह चिकित्सा परामर्श जरूर करें। शिशु का साप्ताहिक वजन भी कराते रहें तथा उसको मातृ सुरक्षा कार्ड में अंकित कराएं।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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