To view this video please enable JavaScript, and consider upgrading to a web browser that supports HTML5 video
ऐसे कर्तव्यनिष्ठ डॉक्टर को "डॉक्टर्स डे" पर जनपद वासियों का सलाम
गाजीपुर : हर साल एक जुलाई को राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाया जाता है। जिंदगी में डॉक्टर का कितना महत्व है, हम यह अच्छी तरह से जानते हैं। डॉक्टर इंसान के रूप में भगवान के समान होता है जो इंसान को उसके मर्ज से उबारता है। डॉक्टर को हिंदी में चिकित्सक, वैद्य आदि नामों से जाना जाता हैं। भारत में प्राचीन काल से ही वैद्य परंपरा रही है, जिनमें धनवन्तरि, चरक, सुश्रुत, जीवक आदि रहे है। धनवन्तरि को तो भगवान के रूप में पूजन भी किया जाता है। जो व्यक्ति समाज के लिए इतना महत्वपूर्ण कार्य करता है, उसके लिए भी एक दिन होना चाहिए और वही खास दिन है 'डॉक्टर्स डे'।
ऐसे ही खास दिन पर जनपद के चिकित्सक डॉ अभिनव जिसने कोविड-१९ महामारी के प्रथम फेज में सहेडी स्थित एल-१ हॉस्पिटल की जिम्मेदारी निभाई। इस दौरान मरीजों के कई सकारात्मक संदेशों के वीडियो भी वायरल हुए। वही सेकंड फेज में भी अपने परिजनों और खुद कोविड-१९ पॉजिटिव होने के बाद भी अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाई। जी हां हम बात कर रहे हैं करंडा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधिकारी डॉ अभिनव की जिन्होंने खुद की और अपने परिवार की परवाह किए बगैर कोविड-१९ उपचाराधीनों की सेवा इस कदर जुटे रहे कि आज भी इनकी सेवा से स्वस्थ होकर वापस गए व्यक्ति भी आज इन इनका फोन कर हाल चाल लेते रहते हैं।
डॉ अभिनव बताते हैं कि इस पेशे के लिए उनकी पहली नियुक्ति जनवरी २०१८ में बड़सरा स्वास्थ्य केंद्र पर हुई थी। उसके बाद उनकी परीक्षा की घड़ी उस वक्त आई जब पहली बार कोविड-१९ महामारी का असर जनपद में हुआ और सहेड़ी में एल-१ हॉस्पिटल बनाया गया। यहां पर करीब चार महीने तक नोडल अधिकारी बनकर जिम्मेदारी निभाई । इसके अलावा जब दूसरी लहर शुरू हुई तब भी इनकी ड्यूटी नोडल अधिकारी के रूप में लगाई गई। इस दौरान २० अप्रैल को वह खुद कोविड-१९ पॉजिटिव हो गए, जिसके बाद होम आइसोलेशन में चले गए।
इस दौरान परिवार की जब जांच की गई तब पत्नी और माता-पिता भी पॉजिटिव हो गए। वह सबसे मुश्किल दौर था जब उनकी पाँच साल की बेटी और गर्भवती पत्नी की देखभाल बड़ी चुनौती बन गई थी। लेकिन परिवार के लोगों ने धैर्य से काम लिया और २८ अप्रैल को उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई और परिवार की जिम्मेदारियों को निभाते हुए एल-2 हॉस्पिटल की जिम्मेदारी भी उसी दिन संभाली। उन्होंने बताया कि पूरा परिवार निगेटिव होने के बाद परिवार में खुशी का माहौल आया और उसके पश्चात उन्होंने अपने पूरे परिवार को गांव पर भेज दिया। उन्होंने बताया कि एल-२ हॉस्पिटल में ड्यूटी के दौरान विभागीय अधिकारियों और साथ काम कर रहे कर्मचारियों का विशेष योगदान मिला, जिसकी वजह से वहां पर भर्ती मरीज स्वस्थ होकर अपने घर को वापस गए और वह आज भी फोन कर हमारा और हमारे परिवार का हाल चाल लेते रहते हैं।
अपने इसी कार्यों के बदौलत डॉ अभिनव को जिला स्वास्थ्य समिति के द्वारा पिछले दिनों सदर विधायक डॉ संगीता बलवंत ने प्रशस्ति पत्र देकर कोरोना वरीयर्स के रूप में सम्मानित भी किया । मुख्यमंत्री के द्वारा भी सम्मानित कराने के लिए विभाग और खुद अपने द्वारा प्रपोजल बनाकर भेजने की बात कही गयी है जिससे इनके कार्यों को देखते हुए अन्य लोग भी सेवा को बखूबी अंजाम दे सके। डॉ अभिनव बताते हैं कि उन्हें एमबीबीएस करने के बाद पीजी करने की इच्छा थी। लेकिन काम की वजह से उन्हें टाइम नहीं मिल पाता है फिर भी आगे कोशिश जारी रहेगा।
डॉ अभिनव के साथ काम करने वाले सहयोगी बताते हैं कि एल-२ हॉस्पिटल में ड्यूटी के दौरान कई बार विभागीय बजट देर से आने के कारण मरीजों को सुविधा देने में दिक्कत आई। तब उन्होंने बजट की परवाह किए बगैर स्वयं की तनख्वा से मरीजों के लिए उनकी मौलिक सुविधा का सामान की खरीदारी कर उन्हें किसी भी प्रकार की कमी नहीं होने दी । शायद यही कारण है कि उनके देखे हुये मरीज उन्हें आज भी तहे दिल से याद करते हैं और धन्यवाद देते हैं।
क्यों मनाते हैं डॉक्टर्स डे -- हर साल एक जुलाई को प्रख्यात फिजीशियन डॉ बिधान चन्द्र रॉय के जन्मदिवस के अवसर पर राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाया जाता है । उनका जन्म एक जुलाई १८८२ में हुआ था और इसी दिन सन १९६२ में देहांत हुआ । अपने ८० साल के जीवन में आधा जीवन चिकित्सा के क्षेत्र में समर्पित किया । एक फरवरी १९६१ को उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी नवाज़ा गया । यह दिन उन्ही के याद में और डॉक्टर को धन्यवाद देने के लिए मनाया जाता है ।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
0 followers
0 Subscribers