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BY:नवनीत मिश्र
संतकबीर नगर :छत्तीसगढ़ के किरोड़ीमल शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय, रायगढ़, के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग द्वारा ‘पंडित विद्यानिवास मिश्र के निबंध साहित्य का वैशिष्ट्य’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया । महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अंजनी कुमार तिवारी एवं हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मीनकेतन प्रधान के कुशल मार्गदर्शन में आयोजन संपन्न हुआ । इस संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में शहीद नंद कुमार पटेल विश्वविद्यालय रायगढ़ के कुलपति प्रोफ़ेसर डॉ. ललित प्रकाश पटेरिया, कार्यक्रम अध्यक्ष पूर्व राजभाषा आयोग अध्यक्ष डॉ विनय कुमार पाठक, अंतर्राष्ट्रीय वक्ता डॉक्टर राम प्रसाद भट्ट हम्बर्ग विश्वविद्यालय जर्मनी, डॉ मौना कौशिक बोलगारिया एवं राष्ट्रीय वक्ता के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली से डॉ. राम नारायण पटेल, जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय छपरा बिहार से डॉ. बेठियार सिंह साहू, गंगाधर मेहर विश्वविद्यालय संबलपुर उड़ीसा से डॉ. ज्योति मिश्रा सहित देश भर के राज्यों जैसे महाराष्ट्र, उड़ीसा, बिहार, उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर से नवनीत मिश्र व अन्य, मध्य प्रदेश, राजस्थान हरियाणा, असम, केरल, मिजोरम, मणिपुर, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश इत्यादि से प्रतिभागी के रूप में प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थियों ने भारी मात्रा में अपनी उपस्थिति दर्ज की ।
आयोजन के आरंभ में उद्घाटन सत्र के अंतर्गत सर्वप्रथम विभागाध्यक्ष डॉ मीनकेतन प्रधान जी ने सभी अतिथियों का परिचय देते हुए संगोष्ठी के उद्देश्य एवं महत्व पर प्रकाश डाला एवं विद्यार्थियों के लिए इस विषय का महत्व निरुपण किया। तत्पश्चात विभाग की सदस्य डॉ रवीन्द्र चौबे के द्वारा महाकवि निराला द्वारा रचित सरस्वती वंदना का सस्वर पाठ किया गया । वन्दना के उपरांत प्राचार्य डॉ. अंजनी कुमार तिवारी ने अपना स्वागत उद्बोधन दिया । उन्होंने अपने उद्बोधन में सभी विद्वान वक्ताओं और प्रतिभागियों का महाविद्यालय द्वारा आयोजित संगोष्ठी में स्वागत और अभिनंदन करते हुए हिंदी विभाग की भूरी भूरी सराहना की।
डॉ. तिवारी ने इस अवसर पर कहा कि ऐसे आयोजनों से महाविद्यालय की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर निरूपित होती है। तत्पश्चात कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ विनय कुमार पाठक जी का उद्बोधन हुआ । उन्होंने अपने उद्बोधन में ललित निबंधों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए पंडित विद्यानिवास मिश्र जी के निबंध साहित्य के वैशिष्ट्य को निरूपित किया। इस अवसर पर डॉ पाठक ने हिंदी विभाग द्वारा विगत वर्ष आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार का उल्लेख भी किया और कहा कि मैंने आज तक की जितने भी वेबीनार में सहभागिता की है उन सबमे इस वेबीनार का अपना विशेष महत्व है । डॉ पाठक के उद्बोधन के पश्चात नव स्थापित शहीद नंद कुमार पटेल विश्वविद्यालय रायगढ़ छत्तीसगढ़ के माननीय कुलपति डॉ ललित प्रकाश पटेरिया जी ने मुख्य अतिथि के रूप में अपना आशीर्वचन दिया । उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि नव स्थापित विश्वविद्यालय के इस महाविद्यालय में इतने बड़े आयोजन का होना अपने आप में गर्व का विषय है । डॉ. पटेरिया ने महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ तिवारी एवं विभागाध्यक्ष हिंदी डॉ. मीनकेतन प्रधान सहित पूरे महाविद्यालय परिवार को इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए अपनी बधाई और शुभकामनाएँ संप्रेषित की ।
आयोजन के तकनीकी सत्र के अंतर्गत सर्वप्रथम विभाग की सदस्य सुश्री लक्षेश्वरी ने पंडित विद्यानिवास मिश्र जी के संपूर्ण जीवन वृत्त को विस्तार से बताया । उन्होंने अपने उद्बोधन में पंडित जी के व्यक्तित्व कृतित्व एवं प्राप्त पुरस्कारों की जानकारी दी । तत्पश्चात दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली से एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राम नारायण पटेल जी का उद्बोधन हुआ। डॉ. पटेल ने अपने उद्बोधन में इस विषय के महत्व को स्पष्ट करते हुए कहा कि पंडित विद्यानिवास मिश्र एक श्रेष्ठ निबंधकार है परंतु उनसे संबंधित सामग्रियों का अभाव है इसलिए इस संगोष्ठी के माध्यम से विद्यार्थियों को पंडित मिश्र जी की निबंध कला को समझने में सहायता मिलेगी ऐसे विषयों में निरंतर संगोष्ठियों का आयोजन होते रहना चाहिए । तत्पश्चात डॉक्टर ज्योति मिश्र जी का उद्बोधन हुआ ।
डॉ ज्योति मिश्र जी ने अपने उद्बोधन में पंडित विद्यानिवास मिश्र जी के निबंध मेरे राम का मुकुट भीग रहा है पर विस्तार से प्रकाश डाला और इस निबंध के माध्यम से पंडित मिश्र जी की निबंध कला की विशिष्टता को रेखांकित किया । तदोपरांत हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग छत्तीसगढ़ पीएचडी शोध छात्र के रूप में सम्मिलित हुए सौरभ सराफ़ ने अपना वक्तव्य दिया । उन्होंने अपने वक्तव्य में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी एवं पंडित विद्यानिवास मिश्र जी के निबंधों की चर्चा करते हुए पंडित मिश्र जी को ललित निबंधकारों की श्रेणी में मील के पत्थर के रूप में रेखांकित किया । तत्पश्चात डॉ. बेठियार सिंह साहू जी का उद्बोधन हुआ । उन्होंने अपने उद्बोधन में पंडित विद्यानिवास मिश्र जी की निबंध कला, साहित्य दृष्टि एवं संपादकीय दायित्व सभी पर विस्तार से चर्चा की । स्नातकोत्तर के पाठ्यक्रम में सम्मिलित निबंध चंद्रमा मनसो जात पर विश्लेषणात्मक विचार व्यक्त करते हुए डॉ साहू ने ऐसे विषय में संगोष्ठी का होना विद्यार्थियों की दृष्टि से अत्यंत लाभदायक बताया ।
डॉ०साहू के उद्बोधन पश्चात डॉ रवीन्द्र चौबे ने संगोष्ठी में शामिल हुए सभी अतिथियों, वक्ताओं एवं प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया । इस अवसर पर अंत में डॉ मीनकेतन प्रधान जी से प्रतिभागियों की विस्तृत चर्चा भी हुई देश के विभिन्न राज्यों से सम्मिलित प्रतिभागियों ने कार्यक्रम के अंत में इस आयोजन को लेकर अपनी प्रसन्नता जाहिर करते हुए पूरे महाविद्यालय परिवार को बधाई दी एवं कहा कि ऐसे आयोजनों में हमें शामिल होकर बहुत कुछ सीखने को मिलता है। इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश- दुनिया से लगभग ७५० प्रतिभागियों ने अपनी सहभागिता दी। ई संगोष्ठी के इस भव्य आयोजन में हिंदी विभाग के सदस्य श्री उत्तरा कुमार सिदार, करिश्मा यादव एवं विद्यार्थियों के रूप में बलराम पटेल, नीति निषाद, लक्ष्मीन निषाद, आशुतोष कुलदीप, दीपक बारीक, बलराज कुर्रे, नरेंद्र पटेल, अनुज खड़िया, सुमीत कुमार कुर्रे इत्यादि की सक्रिय सहभागिता रही ।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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