स्वतंत्रता के बाद से अब तक राजभर समाज के सिर पर नहीं बधा है प्रधानी का ताज

By: Izhar
Mar 09, 2021
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गाजीपुर : कासिमाबाद विकासखंड के अंतर्गत ग्राम सभा रामगढ़ में जहां १२ मौजो को मिलाकर एक प्रधान को चुना जाता है वहीं हर जाति समूह के लोग इस गांव में निवास करते हैं यहां के आम जनमानस से बात करते हुए एक रोचक तथ्य सामने उभर कर आया कि स्वतंत्रता लेकर आज तक  हर जातियों ने अपना अगुआ चुना बस एक जाति को छोड़कर वह है राजभर समाज आखिर क्या वजह है कि अब तक इस ग्राम सभा रामगढ़ कटपुरवा  में राजभर  समाज ने अपना नेता या अगुवा नहीं चुन पाया जबकि प्रधानी तथा प्रधान का चुनावी  खेल  बहुत ही बार हुआ।मगर उसमें एक साधारण बात यह रही कि जहां सभी जातियां अपने अपने जाति के नाम का एक ना एक बार प्रधानी का ताज अपने जाति के  अगुवा के सिर पर ताज बांध चुकी है ।

वही बड़ी विडंबना यह देखने को मिल रहा  है  कि ग्राम सभा रामगढ़ कठपुरवा राजभर बस्ती में स्वतंत्रता के बाद से अब तक राजभर समाज अपना अगुवा नहीं बना पाया इसलिए ऐसा लगता है कि कहीं ना कहीं की  इस समाज में शिक्षा सामाजिकता व एकता की कमी है इसलिए चिंतन मनन के आधार इस बार बदलते हुए समीकरण के तहत रामगढ़ ग्राम सभा की सीट पिछड़ी हुई है जहां एक तरफ यादव समाज अपने नेता  के सिर पर ताज बांधने के लिए लालायित है । वही पूर्व प्रधान के समर्थक भी तंख्त पलट करने में  कोई कोर कसर से पीछे नहीं हट रहे है और हर दांव पेंच आजमा रहे हैं। वही कटपुरवा के युवा वोटर चंदन राजभर,पंकज राजभर,अच्छेलाल राजभर से बात करने पर उन्होंने बताया कि हमारा समाज भी इस बार अपने अगुवा को चुनने में कोई कोताही नहीं करेगा  और अपने बीच के एक युवा साथी को इस चुनाव के मैदान में उतारेगा और इस बार रामगढ़ ग्राम सभा की लड़ाई त्रिकोणीय होंगी और इस बार हमारा समाज जागृत होकर अपने समाज के भाई प्रदीप राजभर को अपना अगुआ व नेता तन मन धन से बनाएगा ‌और इस ऐतिहासिक क्षण को बदलने और एक  नया इतिहास  लिखने में कोई कैर कसर नहीं छोड़ेगा इस बार यह विश्वास है कि राजभर समाज के युवाओं की आवाज बनकर प्रदीप राजभर उभर कर सामने आयेगे और राजभर समाज के भविष्य को एक नई दिशा देने का काम करेंगे और इस बार सभी ग्राम वासियों का आशीर्वाद रहा तो राजभर समाज के सिर पर प्रधानी का ताज जरूर बधेगा ।

अब देखना यह है कि इस बार भी ग्राम सभा रामगढ़ में राजभर समाज के  अगुआ के सिर पर ताज बंध पाएगा या नहीं अगर इस बार राजभर समाज के अगुआ के सिर पर ताज नहीं बध पाया तो राजभर समाज की ऐतिहासिक व सामाजिक हार होगी और इस सुनहरे मौके को गवा देगी कहीं ऐसा न हो कि राजभर समाज के आने वाले भविष्य का इतिहास एक काले पन्ने  मे ही सिमट कर रह जाये


Izhar

Reporter - Khabre Aaj Bhi

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