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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के सभी छात्र - छात्राओं,शिक्षकों व कर्मचारियों को ‘सर सैयद अहमद ख़ान दिवस’ पर सबको मुबारकबाद हार्दिक शुभकामनाएं
गाजीपुर: भारत में शिक्षा के क्षेत्र में सर सैयद अहमद खाँ का बहुत बड़ा योगदान है । अगर देखा जाये तो खासकर मुस्लिम समुदाय की तालीम को लेकर वे हमेशा कोशिश करते रहे । उनकी कोशिशों का नतीजा है कि आज एएमयू में हजारों की संख्या में बच्चेऔर बच्चियाँ हर साल तालीम हासिल करते हैं । उन्होने मुहम्मदन एंग्लो-ओरिएण्टल कालेज की स्थापना की जो बाद में विकसित होकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना। आज तालीम के मामले में जो मुसलमानों का हाल है इसका अंदाज़ा शायद सर सय्यद अहमद खा को पहले ही था इसीलिये उन्होंने २३ जनवरी १८८३ को लुधियाना में मुस्लिम क़ोम के सरपरस्तों से एक ग़ुज़ारिश की थी जो आपके सामने पेश कर रहा हूँ।
ऐ मेरी क़ौम के लोगों ! अपने अज़ीज़ और प्यारे बच्चों को ग़ारत ना करो ! उनकी परवरिश करो - उनकी आइन्दा ज़िन्दगी अच्छी होने का सामान करो ! मुझ को तुम कुछ भी कहो- मेरी बात सुनो ना सुनो मगर ये याद रखो कि अगर तुम एक क़ौमी तालीम के तौर पर उनको तालीम ना दोगे तो वो आदारा और ख़राब हो जायेंगे ! तुम उनकी बदतर हालत देखोगे और बेचैन होगे ! रोअगे और कुछ ना कर सकोगे ! तुम अगर मर जाओगे तो अपनी औलाद की ख़राब ज़िन्दगी देख कर तुम्हारी रूहें क़ब्रों में तड़पेंगी और तुमसे कुछ ना हो सकेगा ! अभी वक़्त है और तुम सब कुछ कर सकते हो ! मगर याद रखो कि मैं ये पेशनगोई करता हूँ कि अगर और चंद रोज़ तुम इसी तरह ग़ाफ़िल रहे तो एक ज़माना ऐसा आएगा कि तुम चाहोगे कि अपने बच्चों को तालीम दो, उनकी तरबियत करो , मगर तुमसे कुछ ना हो सकेगा ! मुझको कुछ कहो - क़ाफ़िर या कुछ और - मैं तुम से ख़ुदा के सामने कुछ सिफ़ारिश नहीं चाहता ! मैं तुम से अपनी शफ़ाअत के वास्ते ख़्वास्तगार ना होंगा ! मैं जो कुछ कहता हूँ तुम्हारे बच्चों की बेहतरी के लिए कहता हूँ ! तुम उन्हीं पर रहम करो ! और कुछ ऐसा करो कि आइन्दा पछताना ना पड़े ।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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