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SC पहुंची कर्नाटक की लड़ाई:3 साल पहले भी आधी रात खुले थे कोर्ट के ताले नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने के बाद सरकार बनाने के लिए भाजपा (104) और कांग्रेस+जेडीएस (78+38=116 ) के बीच जारी खींचतान सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गई। बुधवार शाम को कर्नाटक के राज्य पाल वजुभाई वाला ने भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने का मौका दे दिया और बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय भी। इसके विरोध में कांग्रेस और जेडीएस ने आधी रात को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और कर्नाटक में भाजपा को सरकार बनाने से रोकने के लिए तत्काल सुनवाई करने की अपील की। जिसके बाद, चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने तीन जजों जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस बोबड़े की बेंच गठित कर सुनवाई का आदेश दिया। रिसॉर्ट राजनीतिः विधायकों को बचाने में जुटे कांग्रेस-जेडीएस, होटलों में ठहराया दूसरी बार आधी रात को खुला सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा कांग्रेस और जेडीएस की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में देर रात 1 बजकर 45 मिनट पर तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट के रूम नंबर 6 में कांग्रेस और जेडीएस का पक्ष रखने के लिए अभिषेक मनु सिंघवी तो वहीं भाजपा का पक्ष रखने के लिए पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी मौजूद थे। भारतीय न्यायिक इतिहास में यह दूसरी बार था, जब किसी मामले में सुनवाई के लिए आधी रात को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खुला। इससे पहले वर्ष 1993 के मुंबई में हुए सीरियल बम ब्लास्ट में दोषी याकूब रज्जाक मेमन की फांसी पर रोक संबंधी अपील पर सुनवाई के लिए देश की सर्वोच्च अदालत का दरवाजा मध्यरात्रि को खुला था। वह भारत की न्यायिक इतिहास में पहला मौका था जब सुप्रीम कोर्ट ने आधी रात को सुनवाई की थी। कर्नाटकः येदियुरप्पा आज 9 बजे लेंगे CM पद की शपथ, 15 दिन में साबित करना होगा बहुमत इससे पहले याकूब मेनन के मामले में आधी रात को हुई थी सुनवाई साल 2015 में 29 जुलाई की रात याकूब मेनन को फांसी से बचाने के लिए वकीलों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा था, जबकि याकूब मेनन को 30 जुलाई, 2015 को सुबह नागपुर सेंट्रल जेल में फांसी के फंदे पर लटकाने की तैयारी चल रही थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आधी रात को अदालत लगा कर सुनवाई की। वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा ने ही देर रात तक चली सुनवाई के बाद याकूब मेनन को फांसी पर लटकाने का फैसला दिया था। इसके बाद निर्भया बलात्कार कांड के नाबालिग दोषी की रिहाई पर रोक के लिए एक बार फिर यह कवायद पिछले की गई। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के प्रयास से आधी रात को शीर्ष अदालत का प्रवेश द्वार एक बार फिर खुला, लेकिन वे अदालत कक्ष खुलवाने में असफल रहीं थीं
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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