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byनवनीत मिश्र
संत कबीर नगर: प्रभादेवी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वाधान में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉक्टर पूर्णेश नारायण सिंह, समन्वयक, रा.से.यो., सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु ने कहा कि भारत ही नहीं अपितु विश्व की कोई भी संस्कृति हो वहां शिक्षक को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। शिक्षक का उद्देश्य सिर्फ शिक्षा देना ही नहीं है, बल्कि समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर कर चरित्र निर्माण करना भी है। शिक्षा का अर्थ किताबी ज्ञान कतई नहीं है, बल्कि इसके अंतर्गत चरित्र निर्माण, अनुशासन और तमाम सद्गुणों का समावेश भी है। शिक्षा को मानव व्यक्तित्व के विकास का साधन माना जाता है और शिक्षा का स्तर ही व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान दिलाता है।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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