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मंबई/दिल्ली :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को देश के नाम संदेश दिया। जिसमें उन्होंने देशवासियों को बताया कि भारत अब अंतरिक्ष में एक महाशक्ति बन गया है। भारत ने अतंरिक्ष में एक लो अर्थ आर्बिट पर उड़ रहे एक सैटेलाइट को एंटी-सैटेलाइट वेपन ए-सैट मिसाइल से मार गिराया है। अब इस उपलब्धि का एक वीडियो जारी किया है। यह वीडियो रक्षा सूत्र के सौजन्य से जारी किया गया है। इसमें दिखाया गया है कि, कैसे भारत की ए-सैट बीएमडी इंटरसेप्टर मिसाइल ने (Low Earth Orbit) सैटेलाइट को माpर गिराया गया है। डीआरडीओ की इस सफलता के चलते भारत, अमेरिका, रूस और चीन के बाद दुनिया का ऐसा चौथा देश बन गया जिसके पास इस तरह की तकनीक है।
तीन चरणों में काम करती है बीएमडी मिसाइल
भारत ने जिस तकनीक से अपने पुराने सैटेलाइट को मार गिराया है। यह स्पेस डिफेस की एक अहम और एडवांस तकनीक है। भारत ने अपने बलबूते पर एंटी सैटेलाइट मिसाइल तैयार की है। जिसकी मदद से वह अंतरिक्ष में उड़ रहे दुश्मन सैटेलाइट को मार गिरा सकती है। बीएमडी इंटरसेप्टर मिसाइल तीन चरणों में काम करती है। रडार की मदद से पहले दुश्मन सैटेलाइट के ट्रैक किया जाता है।
ऐसे बनाती है टारगेट को बनाती है निशाना
इसके बाद सैटेलाइट की मूवमेंट को ट्रैक किया जाता है। जिसके बाद कंट्रोल रूम से ट्रैक किए गए टारगेट को नष्ट करने की कमांड जारी की जाती है। कंट्रोल रूस से कमांड मिलते ही बीएमडी इंटरसेप्टर मिसाइल अपने टारगेट को भेदने के लिए लॉन्च हो जाती है। अंतरिक्ष में पहंचते ही इसका मिसाइल का इंजन उससे अलग हो जाता है। इसके बाद रडार की मदद से इसे गाइड किया जाता है। दूसरे चरण में मिसाइल पर लगी हीट शील्ड मिसाइल से अलग हो जाती है। इसके बाद मिसाइल टारगेट को निशाना बनाती है और उसे पूरी तरह से नष्ट कर देता है।
भारत की मिसाइल ने ३ मिनट में ३०० किलोमीटर दूर मार गिराया सैटेलाइट: पीएम मोदी क्या है लो अर्थ ऑर्बिट
धरती से २००० किलोमीटर की ऊंचाई पर लो अर्थ ऑर्बिट यानी लियो वह ऑर्बिट है जो धरती के आसपास इसकी सतह से २००० किलोमीटर के ऊपर रहता है। इतनी ऊंचाई पर कोई भी सैटेलाइट धरती की कक्षा में ४८ से १२७ मिनट के अंदर पहुंच सकता है। लियो वह सैटेलाइट सिस्टम है जिसे टेलीकम्यूनिकेशन और इंटरनेट के लिए प्रयोग किया जाता है। इन सैटेलाइट को डाटा कम्यूनिकेशन जैसे ई-मेल, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और इस तरह के कामों के लिए प्रयोग में लाया जाता है। लियो, बहुत ज्यादा गति से घूमता है और अंतरिक्ष में स्थापित नहीं होते हैं।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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