आंध्र प्रदेश में खरीफ फसलों का क्षेत्रफल गत वर्ष से आगे निकला

By: Surendra
Sep 07, 2025
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मुंबई : कनफेडरेशन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के श्री उदय सुरेश भाई ठक्कर ने कहा दक्षिण भारत के एक महत्वपूर्ण कृषि उत्पादक राज्य- आंध्र प्रदेश में दक्षिण-पश्चिम मानसून की लेट बारिश के सहारे खरीफ फसलों का उत्पादन क्षेत्र अब गत वर्ष से आगे निकल गया है जबकि जून-जुलाई में वर्षा का अभाव रहने से बिजाई की गति धीमी पड़ गई थी। राज्य के कुछ क्षेत्रों में सूखे का संकट पैदा हो गया था लेकिन अगस्त की बारिश से हालत सुधर गई।

राज्य कृषि विभाग के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार वर्तमान वर्ष के दौरान आंध्र प्रदेश में 3 सितम्बर तक खरीफ फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र सुधरकर 23.74 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो पिछले साल की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 22.48 लाख हेक्टेयर से 1.26 लाख हेक्टेयर ज्यादा है। राज्य के कुछ भागों में फसलों की बिजाई का अभियान अभी जारी है।-

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार गत वर्ष की तुलना में मौजूदा खरीफ सीजन के दौरान आंध्र प्रदेश में धान का उत्पादन क्षेत्र 11.36 लाख हेक्टेयर से उछलकर 12.97 लाख हेक्टेयर तथा मक्का का बिजाई क्षेत्र 1.11 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 1.43 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया

जबकि बाजरा का रकबा 22 हजार हेक्टेयर पर स्थिर रहा। इस तरह मोटे अनाजों का क्षेत्रफल 1.68 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 1.93 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा जिसमें कुछ अन्य अनाजी फसलें भी शामिल हैं।

दलहनों का रकबा भी गत वर्ष के 2.33 लाख हेक्टेयर से सुधरकर इस वर्ष 2.47 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा। इसके तहत अरहर (तुवर) का बिजाई क्षेत्र 2.06 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 2.23 लाख हेक्टेयर हो गया मगर उड़द का क्षेत्रफल 21 हजार हेक्टेयर से घटकर 19 हजार हेक्टेयर रह गया। मूंग का रकबा 5 हजार हेक्टेयर पर स्थिर रहा।

लेकिन राज्य में तिलहन फसलों का उत्पादन क्षेत्र 3.20 लाख हेक्टेयर से घटकर इस बार 2.20 लाख हेक्टेयर पर अटक गया। इसमें मुख्य भूमिका मूंगफली की रही जिसका बिजाई क्षेत्र 2.69 लाख हेक्टेयर से लुढ़ककर 1.75 लाख हेक्टेयर पर अटक गया। रॉयल सीमा संभाग में जब तक मूंगफली की बिजाई का आदर्श समय बरकरार रहा तब तक वर्षा की कमी बनी रही और सौसम अनुकूल नहीं रहा। इससे किसानों को बिजाई की गति तेज करने का अवसर नहीं मिल सका। वहां अरंडी का रकबा भी 35 हजार हेक्टेयर से गिरकर 29 हजार हेक्टेयर रह गया। तिल और सोयाबीन की खेती सीमित क्षेत्रफल में हुई है।


Surendra

Reporter - Khabre Aaj Bhi

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