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गहमर : (गाजीपुर ) एशिया के सबसे बड़े और सैनिक बाहुल्य गांव गहमर का अपना ही एक गौरव इतिहास रहा है। बीते वर्ष कोरोना काल के नाम पर रेल मंत्रालय के द्वारा गहमर रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों के ठहराव रद्द कर दिए जाने के कारण लोगों ने आंदोलन शुरू कर दिया था। जिसके बाद आंदोलनकारियों के मांग को दृष्टिगत रखते हुए रेलवे ने कुछ ट्रेनों का ठहराव तो सुनिश्चित किया लेकिन करीब 4 जोड़ी ट्रेनों का ठहराव नहीं होने से लोगों में आक्रोश व्याप्त है। आक्रोशित लोगों ने एक बार पुनः आंदोलन के स्वर मुखर कर दिए हैं।
गौरतलब हो कि रेल ठहराव संघर्ष समिति एवं व्यापार मंडल व भूतपूर्व सैनिक संगठन के संयुक्त तत्वाधान में गहमर वासियों एवं क्षेत्रीय ग्रामीणों के द्वारा लगातार रेलवे स्टेशन गहमर पर रुक रही विभिन्न ट्रेनों के ठहराव करने की मांग के लिए आंदोलन किया जा रहा है। गुरुवार को गहमर के राम चबूतरा पर हुए बैठक के दौरान आंदोलनकारियों ने रेलवे के अधिकारियों को चेतावनी देते हुए 11 सितंबर को "रेल अथवा जेल" नारा के साथ रेल चक्का जाम करने की हिदायत दी है।
इन ट्रेनों के ठहराव की है मांग:-
आंदोलनकारियों के द्वारा पंडित दीनदयाल उपाध्याय दानापुर रेल खंड के गहमर रेलवे स्टेशन पर पूर्व में रुक रही फरक्का एक्सप्रेस, मगध एक्सप्रेस, भगत की कोठी एक्सप्रेस, गरीब रथ एक्सप्रेस ट्रेनों के पुनः ठहराव की मांग की। इसके साथ ही कोरोना काल से पूर्व संचालित 4 जोड़ी ट्रेनों क्रमशः बनारस एक्सप्रेस, अपर इंडिया, जनता एक्सप्रेस, लाल किला एक्सप्रेस के स्थान पर समान दूरी के अन्य ट्रेनों के ठहराव की भी मांग की है।
आंदोलनकारियों का कहना है कि हम सभी अपने हक के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं ट्रेनों का ठहराव हमारा मौलिक अधिकार है हम कोई नई ट्रेन नहीं मांग रहे हैं हम वही ट्रेन मांग रहे हैं जिनका खारा पूर्व में गहमर की रेलवे स्टेशन पर किया जाता था। भूत पूर्व सैनिक संगठन के अध्यक्ष मारकंडेय सिंह ने कहा कि अगर रेलवे हमारी मांगों को नहीं मानता है तो हम निश्चित तौर पर एक 11 सितंबर को रेल चक्का जाम करने की कार्रवाई के लिए बाध्य होंगे।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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