तिब्बत की रक्षा अगर मौके पर भारत करता तो सन 62 न होता: प्रो.सोलंकी

By: Khabre Aaj Bhi
Dec 04, 2021
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बीटीएसएस की तीन दिवसीय राष्ट्रीय बैठक का पहला दिन संपन्न

तिब्बत की स्वतंत्रता हेतु चीन के विरोध में बना सबसे आक्रामक संगठन 

संगठन के पुरे देश में हुए व्यापक विस्तार को सराहा गया

आगामी दो दिनों में लाये जायेंगे कई महत्वपूर्ण राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रस्ताव 

 By : नवनीत मिश्र

संतकबीर नगर :  राज्यपाल व भारत तिब्बत समन्वय संघ के केंद्रीय संरक्षक प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा है कि जिस प्रकार पाकिस्तान के अत्याचार से भारत ने मुक्त करा के बांग्लादेश बनवाया था। वैसे ही भारत को 1959 में चीन के हमले से तिब्बत की रक्षा करनी चाहिए थी। तो कम से कम आज भी तिब्बत आजाद रहता और चीन 1962 में भारत पर हमला न कर पाता। हालांकि अब गलती नहीं होनी चाहिए। प्रो. सोलंकी ने आगे कहा कि भारत के सांस्कृतिक व धार्मिक संबन्ध हजारों वर्ष पुराने हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि चीन की विस्तारवादी नीतियों के कारण दुनिया को तिब्बत जैसी महान सभ्यता और संस्कृति के अस्तित्व से वंचित रहना पड़ रहा है। तिब्बत की स्वतंत्रता भारत की सामरिक व आंतरिक सुरक्षा दृष्टि से आवश्यक है। भारत तिब्बत समन्वय संघ के तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक का पहला दिन शनिवार को सम्पन्न हुआ।  ज्ञात हो कि पहले यह बैठक हरिद्वार में होने वाली थी। परंतु वर्तमान कोविड के परिस्थितओं के कारण ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आयोजित बैठक में देश-दुनिया के सैकड़ों प्रतिनिधि उपस्थीत रहे । इस आयोजन के लिए संघ को शुभकामनाएं देते हुए तिब्बत की निर्वासित सरकार के राष्ट्रपति पेंपा त्सेरिंग ने कहा कि परम पावन दलाई लामा के करुणा और शांति के माध्यम से चल रहे हमारे प्रयासों की सफलता में भारत के ऐसे ही संगठनों का साथ चाहिए। उन्होंने बीटीएसएस की प्रथम राष्ट्रीय कार्यकारिणी के आयोजन को बधाई देते हुए कहा कि केवल 10 माह में इतना विशाल संगठन खड़ा कर लेने पर केंद्रीय तिब्बत प्रशासन आपका अभिनन्दन करता हैं। इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत संघ के गीत, सरस्वती वंदना और परम पावन दलाई लामा की तिब्बती प्रार्थना से हुआ। तत्पश्चात संघ के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रोफेसर प्रयाग दत्त जुयाल,पूर्व कुलपति ने स्वागत उद्बोधन देते हुए बताया कि पिछले एक वर्ष में संघ का देश सभी हिस्सों में व्यापक विस्तार हुआ है। उसके उपरांत संघ के केंद्रीय संयोजक श्री हेमेंद्र प्रताप सिंह तोमर ने पिछले एक वर्ष में संघ की गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताया और यह संकल्प दोहराया कि तिब्बत के स्वतंत्र होने तक और कैलाश मानसरोवर की मुक्ति के लिए संघ द्वारा चीन का प्रखर और मुखर विरोध अनवरत जारी रहेगा।बैठक को संबोधित करते हुए संघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री नरेंद्र पाल सिंह भदौरिया ने चीन के खतरें के समक्ष देशवासियों को जागरूक और तैयार करने तथा भारत और तिब्बत के बीच परस्पर सहयोग व समन्वय को बढ़ाने में हरसम्भव कदम उठाने पर जोर दिया ।शनिवार के प्रथम सत्र में भारत तिब्बत समन्वय संघ द्वारा प्रकाशित "शिवबोधि स्मारिका" का भी विमोचन किया गया। बैठक के अंत में राष्ट्रीय महामंत्री श्री विजय मान ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा। बैठक संचालन दिल्ली प्रान्त की सुश्री सुमित्रा सिंह ने किया ।कार्यकारणी की बैठक में देश-विदेश से जुड़े सैकड़ों प्रतिनिधियों सहित राष्ट्रीय महामंत्री अरविंद केसरी, रामकुमार सिंह, अध्यक्ष, गोरक्ष प्रांत, शिवेन्द्र विक्रम सिंह, महामंत्री, गोरक्ष प्रांत, श्रीकांत मणि त्रिपाठी, विजय सिंह संत, अमर राय उर्फ कृष्ण चन्द्र,डॉ०आलोक कुमार दूबे, शिवाकांत ओझा, द्विजेन्द्र बहादुर सिंह, आदर्श ओझा, सत्यपाल सिंह, कृष्ण प्रताप सिंह, नवनीत मिश्र, सहसंयोजक, प्रचार व आईटी प्रभाग, डॉ० हरिद्वार शुक्ल, संयोजक, शोध व विकाश प्रभाग, सतीश सिंह, हरिहर प्रसाद पाण्डेय, अलंकार कौशिक, डॉ० दिग्विजय नाथ पाण्डेय, रामजनम सिंह, संरक्षक, अरविंद विक्रम चौधरी, प्रांत संयोजक, इंद्रजीत मिश्र (पूर्व सांसद)प्रांत संरक्षक, पवन कुमार, डॉ० सोनी सिंह, डॉ० दिव्या रानी सिंह, श्रीमती अनिता जय सिंह, देवशरण सिंह, शशिमौलि पाण्डेय, विनय कुमार पाण्डेय, उमाशंकर पाण्डेय, श्री प्रवेश कुमार वरुण, शम्भू कुमार मिश्र, विनय कांत मिश्र, डॉ० दुर्गा प्रसाद सहित अनेक लोग वर्चुअल जुड़े रहे।


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Reporter - Khabre Aaj Bhi

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