स्वास्थ विभाग का छः बिना पंजीयन के मैटरनिटी अस्पतालों पर शिकंजा

By: Khabre Aaj Bhi
Dec 23, 2020
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बिना मानकों  के अस्पतालों पर मेहरबान राजकीय महिला चिकित्सालय में महिला डॉक्टर की तैनाती

शाहगंज : जौनपुर अक्सर देखा देखा जाता है की जब कोई घटना या दुर्घटना होती है तभी शासन और प्रशासन की नींद खुलती है।ऐसा लगभग हर कोई अनुभव किया होगा।

ताज़ा तरीन मामला नगर के आजमगढ़ मार्ग स्थित नीना हॉस्पिटल में परिजनों ने डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर तोड़ फोड़ हुई।अगर पुलिस समय पर न पहुंचती तो स्थिति शायद और भी विस्फोटक हो सकती थी।जब जच्चा बच्चा की मौत हुई।हंगामा हुआ।तब जाकर कहीं जिले के आला अधिकारियों के कान पर जूं रेंगी।सवाल उठता है।घटना होने के बाद ही क्यों तन्द्रा टूटती है।आखिर एक नवजात जिसने अभी धरती पर पैर भी नही रखा था।उसकी मौत हो जाती है।एक माँ को अपनी जान गवानी पड़ती है।जिसने अपने पहले संतान की शायद शक्ल भी नही देखी होगी।अब सोचने वाली बात ये है की स्वास्थ विभाग ने नगर के जिन छः बिना पंजीयन के मैटर्निटी होम संचालित हो रहे हैं या हो रहे है ।क्या उक्त घटना के पूर्व नही संचालित हो रहे थे।संचालन तब भी हो रहा था।मगर क्या  स्वास्थ विभाग को उक्त घटना के बाद ही इन अवैध मैटरनिटी होमो के बारे में जानकारी हुई।और उन छः मैटर्निटी होमो को जिलाधिकारी के निर्देश पर स्वास्थ विभाग ने नोटिस जारी की।सवाल यहीं खत्म नही होता नगर में ऐसे तमाम अवैध और मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए छोटे और बड़े अस्पताल एवं मैटर्निटी होम मिल जाएंगे जहां मरीजों और तीमारदारों का जमकर आर्थिक और मानसिक शोषण होता है।आखिर इन पर कब स्वास्थ विभाग कार्यवाई करेगा।जब कोई घटना होगी।या फिर किसी के घर की बहू बेटी की जान जाएगी तब।

सबसे अहम बात शाहगंज जैसे बड़े आबादी और चार जनपदों की सीमा पर स्थित एक मात्र राजकीय महिला चिकित्सालय जो वर्षों से महिला चिकित्सक विहीन है।जिसकी कई बार अखबारों में खबरें भी छप चुकी है।वहां अब तक क्यों नही महिला चिकित्सक की तैनाती हो पाई।अगर राजकीय महिला चिकित्सालय में महिला डॉक्टर होती तो हजारों गरीब और असहायों का इलाज हो पाता।इसपर स्वास्थ विभाग की नज़र क्यों नही पड़ती।या जानबूझ कर नज़रंदाज़ किया जा रहा है।


Khabre Aaj Bhi

Reporter - Khabre Aaj Bhi

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