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भूमाफिओं के इशारे पर लेखपाल का कारनामा़,
BY:रियाजुल हक़/मो हारून
जौनपुर : मछलीशहर कस्बे के बरईपार चैराहे पर स्थित बेशकीमती तालाब पर भूमाफिओ की कुत्सित नजर लगी है। उक्त तालाब पर ही हिन्दूओ के सभी मांगलिक कार्य संपन्न होते है। जब तक यह तालाब मूल स्वामियो के नाम पर दर्ज था तब तक सुरक्षित रहा। लेकिन सन २०१६ मे जब उपजिलाधिकारी न्यायालय से मूल स्वामियो का नाम निरस्त करके तालाब खाते मे सीधे दर्ज करने का आदेश हुआ तभी से उसपर अवैध कब्जा करने के लिए गिद्ध दृष्टि लग गयी।
कस्बा लेखपाल की साजिश से पहले उसे परती दर्ज कराया गया। सन २०१९ मे उक्त तालाब के लगभग एक चैथाई हिस्से का पटटा कस्बा निवासिनी एक महिला के नाम पर सिर्फ २३०० रूपये में कर दिया गया। जबकि उक्त तालाब का संपूर्ण रकबा १.१७० हेक्टेयर का है।
तहसील प्रशासन को इतनी समझ भी नहीं थी कि १.१७० हेक्टेयर तालाब के एक चैथाई का मत्सय पालन पटटा कैसे संभव है। पट्टा लेने वाला उसमें से एक चैथाई हिस्सा कैसे अलग कर सकता है।
पट्टेदार द्वारा बीतेे दिनो जेनसेट से तालाब का पानी निकालकर उसे सुखाने की कोशिश शुरू हुई। लेकिन जागरूक हिन्दू समाज ने विरोध किया तो एसडीएम अंजनी कुमार सिंह ने पानी निकालना बंद कराया। जबकि मत्सय पालन पट्टे के नियमों के तहत सिर्फ मछली पालन और बेचने का अधिकार मिलता है। पूरे तालाब का पानी क्यों निकाला जा रहा था यह समझ से परे है। तालाब पर अवैध कब्जा करने के लिये आश्चर्यजनक ढंग से उसे हल्का लेखपाल ने खसरे मे परती दर्ज कर दिया है। ताकि भविष्य मे भूमाफिओ को अवैध कब्जा करने मे सहूलियत मिल सके।
जबकि २०१६ मे तत्कालीन उपजिलाधिकारी विजय बहादुर सिंह ने तालाब खाते से मूल स्वामियो का नाम खारिज करके पुनः तालाब खाते मे दर्ज करने का न्यायिक आदेश पारित किया था। हिन्दू समाज ने ऐसे रिश्वतखोर लेखपाल को जाॅचोपरान्त निलंबित करने की माॅग की है। नगर के हिन्दू समाज ने माॅग की है कि यह तालाब मन्दिर के किनारे स्थित है और कस्बे की ऐतिहासिक धरोहर है जहाँ हिन्दू समाज अपने मांगलिक कार्यो को संपन्न करता है। इसको भूमाफिओ से बचाया जाये तथा तालाब के साथ कागजी छेड़छाड़ करने वाले हल्का लेखपाल के खिलाफ कार्यवाही की जाये।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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