सामाजिक कार्यकर्ता और फर्जी पत्रकार अरमान उर्फ ​​विक्रम संजय पवार पनवेल; पुलिस हिरासत में

By: Surendra
May 13, 2025
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जाति आधारित गाली-गलौज और जबरन वसूली के अपराध में उसे तडीपार की मांग की गई..!!

पनवेल :  पनवेल तालुका के सामाजिक कार्यकर्ता और तथाकथित पत्रकार अरमान उर्फ ​​विक्रम संजय पवार को आखिरकार पनवेल शहर पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक नितिन ठाकरे के मार्गदर्शन में सहायक पुलिस निरीक्षक राजेंद्र घेवड़ेकर ने तकनीकी जांच के आधार पर गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया है. रमाकांत मान गोविंदा परिदा, जो 2021-22 की अवधि के दौरान दौलत माने से परिचित थे,  कहा कि चूंकि वह अपने व्यवसाय के लिए जगह खरीदने जा रहा था, इसलिए उसने उसके लिए माने से पैसे मांगे थे. उसमें से उसने नकद और बैंक लोन लेकर उसे कुल 80 लाख रुपये दिए थे. साथ ही माने और अन्य लोगों ने भी उसकी आर्थिक मदद की है. लेकिन उसके बाद उसने अपने व्यवसाय के लिए ली गई रकम किसी को नहीं लौटाई है. इसलिए उरण पुलिस स्टेशन के एक पुलिस कांस्टेबल सुंदर सिंह ठाकुर ने नेरुल पुलिस स्टेशन में रमाकांत मंगविडा परीदा और अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। ठगी के पैसे पाने के लिए, पुलिस कांस्टेबल ठाकुर ने माने से कहा कि अरमान उर्फ ​​विक्रम संजय पवार एक सामाजिक कार्यकर्ता है, आप उनसे मदद मांग सकते हैं और वे आपकी मदद करेंगे और पैसे दिलाएंगे। तदनुसार, दौलत माने और ठाकुर ने अरमान उर्फ ​​विक्रम संजय पवार से संपर्क किया और गार्डन होटल में एक बैठक तय की, जहाँ अरमान उर्फ ​​विक्रम संजय पवार ने कहा कि मैं कानूनी तरीकों से रमाकांत परीदा से पैसे वापस ले लूंगा। आप मुझे 5 लाख रुपये दे दो। उस समय, माने ने उनसे कहा कि वह उन्हें शुरुआत में 1 लाख रुपये देगा। उसके बाद माने ने स्वयं 50,000 रुपए तथा पुलिस कांस्टेबल ठाकुर ने 50,000 रुपए अरमान उर्फ ​​विक्रम संजय पवार को उसके दिए गए मोबाइल नंबर 8850838556 पर गूगल पे के माध्यम से भेज दिए। उसके बाद दौलत माने तथा पुलिस कांस्टेबल ठाकुर समय-समय पर अरमान उर्फ ​​विक्रम संजय पवार से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से संपर्क कर रहे थे, लेकिन अरमान पवार ने कोई जवाब या मदद नहीं की। उल्टे वह माने से शेष 4 लाख रुपए की मांग करने लगा तथा उक्त रुपए न देने पर वह माने व ठाकुर को धमकाने लगा कि ''मैं तुम्हें नौकरी नहीं करने दूंगा, तथा भ्रष्टाचार व बलात्कार के झूठे मामलों में फंसा दूंगा, इसके लिए तुम मुझे शेष रकम दो।'' उसके बाद अरमान पवार ने उससे संपर्क करना बंद कर दिया और जब माने ठाकुर को 1 लाख रुपए देने में आनाकानी करने लगा, तब उन दोनों ने अरमान पवार से मिलकर उसे समझाया कि मैं बौद्ध अनुसूचित जाति का हूं, आप मुझे बेवजह परेशान न करें और मेरे साथ धोखाधड़ी न करें, और माने ने उससे अनुरोध किया कि हम पुलिस वाले होते हुए भी हमसे जबरदस्ती पैसे न मांगें। लेकिन अरमान पवार ने कहा कि, "मुझे मत बताओ कि तुम बौद्ध हो, मुझे पता है कि तुम महार हो," और अरमान उर्फ ​​विक्रम पवार पुलिस अधिकारी दौलतराव कृष्ण माने से पैसे मांगता रहा, उसे धमकाता रहा कि, "भले ही तुम पुलिस वाले हो, मैं तुम्हें झूठे अपराध में फंसा सकता हूं।" उस समय माने ने उससे कुछ नहीं कहा, उसे डर था कि वह कोई झूठा आरोप लगाकर मुझे बदनाम कर देगा और मेरी नौकरी में परेशानी आएगी। उसके बाद अरमान पवार वकील आशीर्वाद संधानशिव के जरिए माने के पास आया, जिन्होंने भी अरमान उर्फ ​​विक्रम पवार को समझाया। लेकिन फिर भी वह धमकी देकर पैसे मांगता रहा, "मैं पत्रकार हूं, मेरी बहुत प्रसिद्धि है, मैं आरटीआई कार्यकर्ता हूं, इसके विपरीत सभी पुलिस और सरकारी अधिकारी मुझसे डरते हैं।" अंत में अरमान उर्फ ​​विक्रम पवार की प्रताड़ना से तंग आकर दौलतराव माने ने पनवेल शहर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। तदनुसार, अरमान उर्फ ​​विक्रम संजय पवार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 318(4), 308(7), 352, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 की धारा 3(1)(आर), 3(1)(एस) के तहत मामला दर्ज किया गया है। जब वह फरार था, तो उसे तकनीकी जांच के आधार पर एसएसपी राजेंद्र घेवड़ेकर ने गिरफ्तार किया था और अदालत में पेश करने पर उसे पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था। कुछ लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर यह भी बताया है कि अरमान उर्फ ​​विक्रम संजय पवार ने ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब और मनसे का पदाधिकारी बनकर कई बार सरकारी तंत्र को परेशान किया है और कई लोगों को ब्लैकमेल कर लाखों रुपए ऐंठ लिए हैं। पुलिस से यह भी मांग की जा रही है कि वह आगे की जांच करे और अरमान उर्फ ​​विक्रम संजय पवार को हिरासत में ले।


Surendra

Reporter - Khabre Aaj Bhi

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