रक्षा बंधन विशेष : बहनें कल शाम 4:17 बजे तक भाई की कलाई पर बांध सकेंगी राखी

By: Khabre Aaj Bhi
Aug 26, 2018
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मुम्बई :  26अगस्त 2018 रविवार को श्रावण पूर्णिमा के उपलक्ष्य पर रक्षाबंधन पड़ रहा है। जानें इस राखी बांधने का शुभ समय, महत्व अन्य रोचक बाते,

रक्षा बंधन का शुभ समय :-

प्रातः 7 से सायं 4:17 मिनट तक। सायं 4:17 बजे के बाद प्रतिपदा तिथि होगी, प्रतिपदा में रक्षा बंधन निषेध है।

"नन्दायां दर्शने रक्षा बलिदानं दशाषु च!

भद्रायां गोकुलक्रीडा देशनाशाय जायते!!

भद्रायां द्वे न कर्त्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा!

श्रावणी नृपतिं हन्ति ग्रमं दहति च फाल्गुनी!!


नन्दा तिथि में दर्शन, रक्षा, बलिदान, दशाओं में और भद्रा में गोकुल क्रीडा देशनाश के निमित्त होते हैं।

कई वर्षों के बाद शुभ संयोग :-

रक्षा बंधन में विगत कई वर्षों के बाद इस वर्ष भद्रा (विष्टि करण) नहीं है। इस बार दिनभर बहना-भाईयों की कलाई में  राखी बांध सकेंगी। ऐसे शुभयोग कई वर्षों बाद लग रहे हैं। भद्रा (विष्टि करण) को लेकर प्रतिवर्ष समस्याएं खड़ी होती थी, किन्तु इस बार दोष रहित समय मिल रहे हैं। भाई के दीर्घायु, ऐश्वर्य व बन्धन मुक्ति की कामनाओं के लिए भाई-बहन की पावन पर्व यह प्रतिवर्ष होते हैं।

रक्षा सूत्र बांधने का मन्त्र :-

ॐ येनवद्धोबलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:!!तेनत्वां प्रतिवघ्नामि रक्षे मा चल मा चल!!

दैत्यराज महाबलि ने देवराज इन्द्र समेत सभी  देवताओं को बन्दी बना लिया था। देवराज वृहस्पति ने श्रावण मास, शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा तिथि, श्रवणानक्षत्र- भद्रारहित समयों में देवराज इन्द्र को रक्षा बन्धन कर बन्धन से विमुक्ति दिलायी थी।मन्त्र के अर्थ भी यही है।

चारों वर्णों के लिए रक्षा विधान :-

पूर्णिमा तिथि के स्वामी- चन्द्रदेव, श्रवणा नक्षत्र के स्वामी भगवान विष्णु- भद्रारहित समयों में रक्षाबन्धन अवश्य करें। पूज्य तीर्थपुरोहितों, श्री गुरु-सन्तों से भी रक्षा बन्धन कर आशीर्वाद ग्रहण करने की विधान शास्त्र में कहे गये हैं। चारों वर्णों के लिए ब्राह्मण-क्षत्रिय-वैश्य-शूद्र रक्षा विधान धर्म शास्त्रों के अनुसार हैं। 


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आज के दिन ही सामवेद उच्चारण करने वाले हयग्रीव हुए प्रकट :-

आज के दिन ही हयग्रीव भगवान का अवतरण हुआ है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि श्रवणा नक्षत्र में हयग्रीव भगवान प्रकट हुए जिन्होंने सभी पापों के नाशक सामवेद का उच्चारण किया। इस पावन तिथि में वेदों का उपाकर्म सत्मंगल नामाग्नि में अपने शिष्यों सहित हवन करते हैं। उपाकर्म (यज्ञोपवीत संस्कार) की प्रशंसा का वेदों में वर्णन है।



Khabre Aaj Bhi

Reporter - Khabre Aaj Bhi

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