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उत्तर प्रदेश: भदोही जिले में पुलिस हिरासत में हुई रामजी मिश्र की मौत मामले में सोमवार को उस वक्त नाटकीय मोड़ आ गया जब हत्या का मुकदमा दर्ज होने पर गोपीगंज थाने के पूर्व कोतवाल ने सपरिवार धरने पर बैठने की घोषणा कर दी। हलांकि अभी वह नहीं पहुंचे हैं, लेकिन उनके भाई और घर की महिलाओं संग तकरीबन 30 अधिक लोग धरने पर बैठ गए। इसके बाद जिला प्रशासन में हडकंप मच गया। भाई मोना वर्मा का आरोप है कि मेरे भाई सुनील वर्मा को फंसाया गया। एनजीओ चलाने वाले दो लोगों की साजिश पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया वह भी बगैर जाँच किए।हम लोग न्याय की मांग करते हैं। बाद में परिजनों ने इस दौरान डीआईजी से से बात किया और निष्पक्ष जाँच का आश्वसन मिलने के बाद धरना समाप्त हो गया। इस दौरान जांच की मांग करते हुए उपजिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। किसी भी अनहोनी की आशंका से गोपीगंज कोतवाली को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था। इस दौरान अपर जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी ने हालात का जायजा लिया। मौके पर अपर पुलिस अधीक्षक डा. संजय कुमार और कई थानों की पुलिस तैनात थे। एसआई वर्मा के भाई मोना वर्मा के नेतृत्व में परिवार के संतोष वर्मा सोनी वर्मा अनिल वर्मा आशा वर्मा चंद्रिका वर्मा दिनेश वर्मा इंदुबाला वर्मा समेत काफी लोग थाना परिसर में अनशन करने बैठे। मोना वर्मा ने आरोप लगाते हुए कहाँ की किसी संगठन के गौरव पांडे तथा राजीव शुक्ला ने फर्जी आरोप में मेरे भाई को फंसाया है। उधर आरोपी पूर्व कोतवाल सुनील वर्मा ने कहा कि यह पूरी तरह साजिश है। अगर मौत कथित पिटाई से हुई है तो गैर इरादन हत्या का मुकदमा दर्ज किया जा सकता था, मुझे सीधे आरोपी बनाना राजनीति है। आईपीसी की दूसरी धाराओं में भी मामले पंजीकृत किये जा सकते थे।
[02/07, 8:56 PM] Izhar Khan: संगठनों के पांच सूत्री मांगों में मेरे खिलाफ अंतिम मांग थी, लेकिन सबसे पहले मुझे ही बलि चढ़ाया गया। परिवार को 25 लाख मुवावजा की मांग, एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी और आर्थिक सहायता अलावा दूसरी मांग की गयी थी। फिर बाकि मांगे क्यों नहीं पूरी की गयी। सवाल खड़ा करते हुए कहा कि मुझे ही बलि का बकरा क्यों बनाया गया। जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शरीर के किसी भाग में आंतरिक चोट के निशान नहीं मिले। यह प्रमाणित नहीं हो पाया कि रामजी की मौत पिटाई या दूसरे कारणों से हुई फिर मेरे खिलाफ हत्या का मुकदमा क्यों दर्ज किया गया। मेरे साथ राजनीतिक साजिश रची गयी है। हम न्याय के लिए धरने पर बैठने का एलान किया। जहां तक मेरी जिम्मेदारी की बात है मैं आज भी उसी बात पर अटल हूं कि रामजी की मौत पिटाई से नहीं परिसर में दिल का दौरा पड़ने से हुई। जब यह सवाल पूछा गया कि क्या धरने पर बैठने के लिए एसपी भदोही से अनुमति ली गयी है जिस पर उन्होंने कहा सारा मामला संज्ञान में हैं वैसे हमने अपर पुलिस अधीक्षक को बता दिया था। यह सवाल उठा कि आप एक हत्या के आरोपी होते हुए प्रदर्शन कैसे कर सकते है,ं उन्होंने कहा मेरे साथ गलत हुआ हमें न्याय चाहिए। कुछ लोग अपनी दुकान चमकाने के लिए मेरे खिलाफ साजिश रची है। हलांकि अभी तक वर्मा खुद प्रदर्शन स्थल पर नहीं पहुंचे थे। कहीं न कहीं से उन्हें यह आशंका है कि अगर मैं धरने पर बैठता हूं तो मेरी गिरफतारी के साथ नौकरी से बर्खास्तगी भी हो सकती है। फिलहाल लगता है जिसकी वजह से उन्होंने खुद धरने पर बैठने का इरादा टाल दिया और भाई एवं परिवार को आगे कर दिया।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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