एनपीएस की विफलता पर कर्मचारियों ने की हल्ला बोल आन्दोलन की शुरुआत

By: Khabre Aaj Bhi
Dec 19, 2021
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By : जावेद बिन अली

राजस्थान जयपुर :  प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए न्यू पेंशन स्कीम एम्पलॉइज फैडरेशन ऑफ़ राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष रविन्द्र शर्मा ने बताया कि नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) की विफलता पर सरकारी कर्मचारियों एवं अधिकारियों ने आज दिनांक 18 दिसंबर को राज्य सरकार की तीसरी वर्षगांठ पर सभी जिला एवं खंड मुख्यालयों पर प्रदर्शन करते हुए हल्ला बोल आन्दोलन शुरू किया है जो पुरानी पेंशन बहाली तक जारी रहेगा ।  वरिष्ठ उपाध्यक्ष भावना चौधरी  एवं सरोज गोदारा ने बताया कि राजस्थान के 5 लाख से अधिक शासकीय तथा 2 लाख से अधिक अर्ध शासकीय सरकारी कर्मचारियों एवं अधिकारियों पर  “राजस्थान सिविल सेवा अंशदायी पेंशन नियम,2005” को निरस्त कर  “राजस्थान सिविल सेवा पेंशन नियम,1996”  लागू करने के सम्बन्ध में माननीय जिलाधीश एवं उपखंड अधिकारी महोदय के माध्यम से श्रीमान मुख्यमंत्री महोदय को विस्तृत ज्ञापन दिया गया ।   प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष  विशाल चौधरी एवं महासचिव राकेश कुंतल ने बताया कि नेशनल पेंशन सिस्टम में सेवानिवृत्ति के पश्चात मिलने वाली मासिक धनराशि को पीएफआरडीए एक्ट में कहीं भी पेंशन नहीं कहा गया है इस प्रकार स्पष्ट है कि एनपीएस नो पेंशन सिस्टम ही है । प्रदेश सोशल मीडिया प्रभारी रजनीकांत दीक्षित एवं प्रदेश सांस्कृतिक सचिव राजेन्द्र सिंह चारण ने बताया कि यदि एनपीएस बुढ़ापे में वास्तव में सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती तो सशस्त्र सेनाओं के साथ माननीय उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीशों सहित राजनेताओं पर भी  नवीन पेंशन योजना (एनपीएस) लागू होती।  प्रदेश सलाहकार रजनीश खन्ना  एवं चंद्रप्रकाश ने बताया कि एनपीएस में फंड निवेश प्रबंधन शुल्क लिया जाने लगा है जो सरासर अन्याय है।  प्रदेश मीडिया सचिव पंकज जैन एवं प्रदेश संयुक्त सचिव सुगन चंद मीणा ने एनपीएस की खामियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पुरानी पेंशन योजना में सामान्य प्रावधायी निधि, पेंशन कम्प्यूटेशन, पेंशन पर छमाही महंगाई भत्ता, नवीन वेतन आयोग द्वारा पेंशन बढ़ोतरी, असीमित मेडिकल सुविधा, उम्र के साथ दोगुनी तक अतिरिक्त पेंशन, अंतिम मूल वेतन के पचास प्रतिशत पेंशन की गारंटी उपलब्ध है जबकि एनपीएस में उपरोक्त सब से वंचित किया गया है । जिन्द्रपाल कस्वां, मौजी शंकर सैनी एवं प्रदेश प्रवक्ता भगवान सहाय ने बताया कि भारतीय  संविधान के भाग 11 की 7 वीं अनुसूची के अनुच्छेद 245 से 255 के अनुसार पेंशन राज्य सूची का विषय है परन्तु केंद्र के दबाब एवं कॉर्पोरेट के साथ राजनैतिक पार्टियों से अनुचित सांठ गाँठ के चलते वर्ष 2004 में तत्कालीन वसुंधरा सरकार ने राजस्थान में एनपीएस योजना थोप दी थी जिसके दुष्परिणाम के रूप में 600 से 1200 रुपया मासिक पेंशन मिलने के उदाहरण सामने आ रहे हैं जिसको राजस्थान का कर्मचारी हरगिज बर्दाश्त नहीं करेगा । प्रदेश उपाध्यक्ष महेंद्र सिंह राव एवं उम्मेद सिंह डूडी  ने आगामी आन्दोलन की योजना के बारे में बताया कि दिनांक 22 दिसंबर 2021, बुधवार को सभी जिला एवं खंड मुख्यालयों पर 22 दिसंबर 2003 को जारी केंद्र सरकार की उस अधिसूचना की प्रतिलिपियों का दहन किया जायेगा जिसके द्वारा देश में पेंशन को बाज़ार के हवाले करते हुए पहली बार केवल केंद्र के कार्मिकों पर 01.01.2004 से नवीन पेंशन योजना थोपी दी गई थी ।  सचिव विनोद मीणा एवं अब्दुल कलीम ने बताया कि 1 जनवरी 2022, शनिवार को राजस्थान के कर्मचारियों पर 01.01.2004 से नवीन अंशदायी पेंशन नामक म्युच्युअल फंड योजना लागू होने की बरसी पर सभी जिला एवं खंड स्तर  पर “केंडल मार्च” निकालकर विरोध प्रकट किया  जायेगा । प्रदेश संयुक्त सचिव अनिल गोदारा एवं सत्य नारायण गुर्जर  ने बताया कि दिनांक 14 जनवरी 2022, शुक्रवार को सभी जिला एवं खंड मुख्यालयों पर 14.01.2004 को जारी राजस्थान सरकार की उस अधिसूचना की प्रतिलिपियों का दहन किया जायेगा जिसके द्वारा राजस्थान में 01.01.2004 से, सरकारी सेवा में नियुक्त कर्मचारियों पर लागू “राजस्थान सिविल सेवा पेंशन नियम,1996” को बंद कर दिया गया था । प्रदेश समन्वयक विनोद चौधरी ने राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि पुरानी पेंशन बहाल नहीं की गयी तो प्रदेश के कर्मचारी अधिकारी मिलकर संयुक्त आन्दोलन चलाते हुए सरकार की ईंट से ईंट बजाकर चुनावों में सत्ताधारी राजनैतिक दलों को सबक सिखाने का काम करेंगे।


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Reporter - Khabre Aaj Bhi

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