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भगवान शिव सिर्फ देवों के देव ही नहीं बल्कि भूत-प्रेत, पिशाच,अघोरी,नाग बिच्छू, कीट सबके है आराध्य
by:बजरंग बलि तिवारी
वाराणसी : बाबा भोलेनाथ की नगरी काशी में रंगभरी एकादशी से होली की शुरुआत हो गयी है,जहां एक तरफ रंगभरी एकादशी के दिन बाबा के साथ होली खेलने और बाबा की चल प्रतिमा निकलने की प्रथा है तो वहीं इसके दूसरे दिन काशी के मणिकर्णिका घाट पर चिता भस्म की होली खेलने की भी प्रथा विश्वभर में प्रसिद्ध है।भगवान शिव सिर्फ देवों के देव ही नहीं बल्कि भूत प्रेत, पिशाच,अघोरी,नाग बिच्छू, कीट सबके आराध्य हैं।
मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन माता का गौना कराने के बाद बाबा सभी देवी देवताओं और भक्तों के साथ काशी में होली खेले थे और उसके दूसरे ही दी अपने अल्हड़ अघोरी भक्तों के साथ मणिकर्णिका पर शमशान की होली खेले थे।बस तभी से आज के दिन काशी के मणिकर्णिका घाट पर चिता शमशान की होली खेलने की प्रथा है।इस अवसर पर मणिकर्णिका घाट पर काशी वासियों का अल्हड़पन देखने को मिला। काशी की इस अद्भुत होली को देखने के लिए देश विदेश से आए भक्तों का जनसैलाब देखने को मिला।होली के गानों पर धधकती चिताओं के बीच बाबा के अल्हड़ भक्त खुद को चीता के भस्मों से होली खेलने से रोक नहीं पाए।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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