To view this video please enable JavaScript, and consider upgrading to a web browser that supports HTML5 video
कमसार के संस्थापक के मज़ार पर पत्रकारों का सम्मान
ऐतिहासिक कमेसराडीह कोट पर चादरपोशी और पत्रकारों का सम्मान
ग़ाज़ीपुर | जमानियां | सेवराई | दिलदारनगर (गाज़ीपुर)
उत्तर प्रदेश के जनपद ग़ाज़ीपुर के परगना ज़मानियां, तहसील सेवराई में कमसार-व-बार का दिल कहलाने वाला दिलदारनगर इतिहास में दफ़न अनेकों पन्नों से भरा पड़ा है। दिल्ली हावड़ा रूट पर दिलदारनगर जंक्शन रेलवे स्टेशन से तकरीबन पाँच किलों मीटर दक्षिण-पूर्व में करमनासा नदी के तीर पर स्थित 'कमेसराडीह कोट' जो बरसों से जंगल मे तब्दील हरियाली से भरी हुई लगती है। लगभग पाँच सदियाँ बीतने को है इलाके के पठानों के पूर्खो का कभी गुलज़ार बस्ती हुआ करता था यह कमेेसराडीह का कोट! करमनासा नदी के उत्तरी-पश्चिमी तट पर चित्रकोनी व ताजपुर कुर्रा गाँव के मध्य बसा ऐतिहासिक कमेसराडीह कोट का वाक़या भी वाक़ई रोचक रहा है। कोट से करमनासा तीर उस पार बिहार का दृश्य अद्भुत लगता है! नरहर ख़ान दम्पति की मज़ार पर रविवार की शाम बाद नमाज़ असर सोशल डिस्टेन्शिंग के साथ चादरपोशी तथा फातेहा पढ़कर देश दुनियाँ के लिए दुआ की गई।
इसके बाद सदी के सबसे बड़ी महामारी कोविड-19 के लिए साहसिक, सामाजिक कोरोना वरियर्स को इस ऐतिहासिक मज़ार स्थल कोट पर ही क्षेत्र कमसार के संस्थापक ऐतिहासिक महापुरुष की स्मृति में स्थापित संस्था दादा नरहर खान सोशल वेलफेयर ट्रस्ट के अध्यक्ष मुजम्मिल हुसैन खां एवं प्रबंधक/सचिव मुहम्मद मतीन खान तथा सदस्यों द्वारा पत्रकारिता के क्षेत्र में विशेष सामाजिक योगदान के लिए वरिष्ठ पत्रकार शौकत खान, नसीम ख़ान, इज़हार ख़ान, मारूफ़ ख़ान, शहज़ाद ख़ान, हैदर ख़ान तथा समाजसेवी बाबर ख़ान को सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया। इसके उपरांत संस्था ने अपने सदस्यों को मनोनयन-पत्र भी सौंपा।
संस्था सचिव मतीन ख़ान ने कहा कि दादा नरहर खान सोशल वेलफेयर ट्रस्ट कई सालों से सामाजिक कार्यों में और खासतौर से दादा नरहर खान के नाम से कार्य करती आ रही है। जिसमें अपने गांव चित्रकोनी के कक्षा 10 और 12 के पास छात्रों को दादा नरहर खान मेमोरियल अवॉर्ड हर साल दिया जाता है। दादा नरहर खान का यह कोट बिल्कुल जंगल में तब्दील था आज उसी संस्था के द्वारा और भी सहयोगियों के द्वारा आज इस वीरान जगह को आबाद किया जाए रहा है। जिसके तहत पुरानी और विखंडित मजार को फिर से खूबसूरत रूप देकर आज मजार पर चादर पोशी की गई और मीडिया बंधुओं को इस कोरोना महामारी में सहयोग देने के लिए सम्मानित किया। तथा दादा नरहर खान के कमसारी वंशजों से यह गुजारिश है कि आप सब साथ आएं और दादा नरहर खान के इस ऐतिहासिक कोट और करमनासा नदी घाट को आबाद किया जाए एवं पर्यटन स्थल घोषित किया जाए।
इस अवसर पर ट्रस्ट के सदस्यों में अबू बकर खान उर्फ बेचन, अफरोज़ खान, ज़िला परिषद सदस्य जमशेद ख़ान, गुफरान ख़ान प्रधान, कुँअर मुहम्मद नसीम रज़ा ख़ाँ, दस्तगीर ख़ान, सदरे आलम ख़ान, हुमैल ख़ान, हाफिज़ वसीम आदि लोग उपस्थित रहे।
इनसेट में---- कमिसरा डीह कोट का इतिहास
जंगल में तब्दील कमेसराडीह कोट पर स्थित बहुत पुरानी इमली के पेड़, दो जुड़ी मजार और पुरानी ईट एवं बर्तन के अवशेष भी बिखरी पड़ी है। इन पुरावशेषों और बहुमूल्य कलाकृतियों की पुष्टि अल् दीनदार शम्सी म्यूज़ियम एंड लाइब्रेरी के संस्थापक कुँअर मुहम्मद नसीम रज़ा ख़ाँ ने भी की है। इन्होंने बताया कि मेरे प्रयास से सन् 2009 में ही बिहार प्रदेश के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग पटना शाखा-3 के अधिकारी भी दौरा कर चुके हैं। अधिकारी ने अवशेषों को देखते हुए सर्वेक्षण में इस ऐतिहासिक स्थल को मुग़लकाल मे अमीर परिवार का स्थान होना बताया था।
करमनासा के तीर पर बसे कमेसरा से उत्पन्न नाम कमसार के बुनियाद डालने वाले दादा नरहर ख़ान के पाँचों लड़को का नाम- जहांगीर ख़ाँ, बड़न ख़ाँ, उस्मान ख़ाँ, खानजहां ख़ाँ, बारबल ख़ाँ हैं। साथ में बड़े लड़के जहांगीर खाँ रहमतुल्लाह अलैह के नाम से प्रसिद्ध हुए थे जिनकी मज़़ार और मकबरा कमेसराडीह कोट से दिखाई देने वाला बस्ती, करमनासा नदी पार, बिहार स्थित अखिनी गाँव में मौजूद है। इन्हीं पाँच लड़कों की नस्ल से कमसार के मुस्लिम सकरवार पठान कहलाते हैं जो अपने नाम के आगे 'खान' और अपनी कार्यदायी संस्थानों में 'राजपूत' शब्द लगाते हैं। गोड़सरा गांव के रहने वाले करांच पाकिस्तान में बसे हाजी बदरुद्दीन अहमद ख़ाँ 'राजपूत' की किताब "तारीख-ए-कमसार" एवं मुंशी अब्दुलहई, उसिया अपनी किताब "यादगार-ए-कमसार" में लिखते हैं कि नरहर ख़ान सैयद शाह जुनेद फकीर बुज़ुर्ग के करामाती वाक़या से मुतासिर होकर हिन्दू से 'मजहब-ए-इस्लाम' में दाखिल हुए थे। हालांकि उनके खानदान के लोग ईमान नहीं लाए। गहमर, रेवतीपुर आदि गाँव में आबाद हैं। जिसका जिक्र सन.2008 में छपी कमसारनामा किताब के अलावा अंग्रेजों की लिखी गजेटियर में भी उपलब्ध है। लेकिन अभी तक कोई ऐसा ठोस सबूत नही मिल पाया जो दादा नरहर ख़ान से जुड़ी जिंदगी के वाक़या को ऐतिहासिक रूप दिया जा सके। आबाद कमसार में तब बारह गांव थे जो अब 15 से 17 गांवों में आबाद हैं।
उसिया, खजुरी, गोड़सरा, ताजपुर कुर्रा, अखिनी, मनियां, रकसहां, बहुअरा, देवैथा, नेवादा, कुसी, भक्सी, फुफुवांव, सरैला, चित्रकोनी गाँव हैं। कमसार के पठानों की वंशावली, नसबनामा की बात करे तो दादा नरहर ख़ाँ के पांच लड़को में बड़े लड़के जहांगीर ख़ाँ से उसिया दक्षिण अधवार और खजुरी गांव है। दूसरे बेटे बारबल ख़ाँ से उसिया उत्तर अधवार है। तीसरे बेटे बड़न ख़ाँ के पांच बेटों में खिज्र ख़ाँ (मनिया), मुबारक ख़ाँ (रकसहां) और मियां ख़ाँ से सरकार दीवान राजा कुतलु ख़ाँ अकबर के शासन काल में जमींदार तालुका सेवराई थे। कुतलु खान के दो बेटे हुसैन ख़ाँ व दौलह खां थे।
हुसैन ख़ाँ के चार बेटे थे; १- फूलन ख़ाँ (सेवराई), २- फिरोज ख़ाँ से (फुफुवांव), ३- फेकन ख़ाँ (गोड़सरा), ४- लाल ख़ाँ (बकसडा) और दौलह उर्फ दरिया ख़ाँ के दो बेटे; १- मुहम्मद यार ख़ाँ (सरैला), २- सलीम ख़ाँ से (चित्रकोनी) आबाद है। बड़न ख़ाँ के चौथे बेटे नसीर ख़ाँ से बहुअरा गांव है और पांचवे बेटे चांद ख़ाँ के पांच बेटे थे; १- दीवान दाऊद खाँ (देवैथा मय नवादा), २-हातिम ख़ाँ (जबुरना पूरब मोहल्ला), ३- ताज ख़ाँ (जबुरना पश्चिम मोहल्ला), ४- कासिम ख़ाँ (ग्राम घरोहियां, बिहार), ५- ताज ख़ाँ (ग्राम केसरुआ बिहार) हैं। तथा, नरहर खां के चौथे बेटे उस्मान ख़ाँ से ग्राम ताजपुर कुर्रा है और पांचवे बेटे खानजहाँ ख़ाँ से कुसी मय भक्सी गाँव आबाद है। ज्ञातव्य है कि यह ऐतिहासिक लेख का श्रोत पर्यटन विभाग उत्तर प्रदेश सरकार से वित्त पोषित जनपद ग़ाज़ीपुर का एकमात्र संग्रहालय अल् दीनदार शम्सी म्यूज़ियम एंड रिसर्च सेंटर, दिलदारनगर मे संरक्षित दर्जनों दुर्लभ पाण्डुलिपियों एवं मुुुग़लिया शाही फरमानों तथा दस्तावेज़ों से लिया गया है। इन फ़ारसी दस्तावेज़ों में कमसार के पठानों का हस्ताक्षरयुक्त नाम पढ़ने को मिलतें हैं। विशेषकर उसिया-दिलदारनगर, बहुअरा-दिलदारनगर का सीमांकन हो या मौजा देहवल तथा भक्सी गाँव की रज़िस्ट्री पत्र, यह सभी परगना जमानियां के जागीरदार, संस्थापक दिलदारनगर मुुुहम्मद दीनदार ख़ाँ द्वारा दिलदारनगर के (क्रय-पत्र 1110 हिजरी) के साथ सुरक्षित है।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
0 followers
0 Subscribers