विश्व हिंदी दिवस पर सेवा क्लब व काव्य एवं साहित्य संस्था राब्ता के संयुक्त संयोजन में काव्य गोष्ठी का आयोजन

By: Khabre Aaj Bhi
Jan 13, 2020
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by: मेराज अहमद 

 उत्तर प्रदेश जनपद बहराइच कैसरगंज विश्व हिंदी दिवस के मौके पर सामाजिक संस्थान सेवा क्लब व काव्य एवं साहित्य संस्था राब्ता के संयुक्त संयोजन में काव्य गोष्ठी एवं युवा प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन स्थानीय हुकुम सिंह इंटर कॉलेज, कैसरगंज सभागार में किया गया।कार्यक्रम का आयोजन सेवा क्लब के फाउंडर मेंबर वी.पी.सिंह एवं सेवा क्लब व राब्ता के सक्रिय सदस्य नीलेंद्र विक्रम सिंह द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन  शायर अहमद रजा बहराइची ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विशिष्ट अतिथि भाजपा किसान मोर्चा प्रदेश उपाध्यक्ष रामबाबू द्विवेदी ने किया।  कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित थाना प्रभारी संजय कुमार सिंह ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम की शुरुआत कवि रिंकू सिंह ने सरस्वती वंदना से की।

शिक्षक व कवि ओम प्रकाश गुप्ता ने रचना पढ़ते हुए कहा

नई पेंशन की न चाह, अरे रे बाबा हां बाबा ,  सब कर्मचारी मांगै पनाह, अरे रे बाबा ना बाब।

शिक्षक व कलमकार अंग्रेजी प्रवक्ता करम हुसैन ने रचना पढ़ते हुए कहा

पेश करते है हम आज श्रद्धा सुमन,  आज बस में नहीं मेरा विह्वल सा मन।

शिक्षक व कलमकार हर्षित राज सोनी ने रचना पढ़ते हुए कहा

हवा से सीखी है गुस्ताखी हमने,  तुझे छुआ है तेरी इजाजत के बगैर।

शिक्षक व कलमकार मोहम्मद हारून मुरादाबादी ने रचना पढ़ते हुए कहा

खुशबुएं फूटती है जख्मों से,  दर्द की चांदनी मोअत्तर पर है।

शायर अहमद रजा बहराइची ने रचना पढ़ते हुए कहा

दिल दुखाने के बजाये दिल को जीतेगा अगर, दहर में मशहूर ये अहमद रजा हो जाएगा।

शायर जौंक़ जरवली ने रचना पढ़ते हुए कहा

किसी को छांव मिलती है किसी को घाम मिलता है,  जो मेहनत से नहीं डरता उसे तो काम मिलता है,

तुझे जब भूल जाता हूं तो बेचैनी सी रहती है,  मगर जब याद करता हूं बहुत आराम मिलता है।

शायर फराज वारसी ने रचना पढ़ते हुए कहा

तेरे लहजे गुफ्तन में वो शीरी है जो, तरबियत हो तो बच्चों पर असर करती है।

कवि शेखर श्रीवास्तव "जख्मी" ने रचना पढ़ते हुए कहा  

क्रांतिकारियों के शब्दों का कुंज बना के लाया हूं,  अपनी भारत माता की ताकत दिखाने आया हूं।

शायर राज कौशल ने रचना पढ़ते हुए कहा

क्या खूब मोहब्बत हुई थी उनसे,  वो जख्म देते गए, हम मोहब्बत करते गए।

कवि रवि सिंह "विख्यात" ने रचना पढ़ते हुए कहा

सर्दी भी कैसा कहां ढा रही है, पूरे बदन में कंपकपी ला रही है,

रजाई चार ओढ़ के रखता हूं फिर भी, पता नहीं हवा किधर से आ रही है।

कवि अजीत कुमार मौर्या ने रचना पढ़ते हुए कहा

दुआएं साथ हो तो सफर अच्छा लगता है, मुस्कुराता हुआ हर एक बशर अच्छा लगता है,

दरो-दीवार पे रंगोली सजी हो जैसे, बेटियां घर पर हो तो घर अच्छा लगता है।

शिक्षक व कलमकार नीलेंद्र विक्रम सिंह ने रचना पढ़ते हुए कहा

आये हैं नये लोग पुराने चले गए, यानी अदब के सारे खजाने चले गए।

शिक्षक व कवि वीरेंद्र नाथ ने रचना पढ़ते हुए कहा

खुशमिजाज हैं गलियां भी मेरे गांव की, शहर में अब परिंदों के बसेरे नहीं मिलते।

शिक्षक व कवि रत्नेश पाल "खुराफाती" ने रचना पढ़ते हुए कहा

हम कहते इसको राम की लीला, कलयुग में राम को लीला,

लीला रह गई राम खो गए, कलयुग में गुमनाम हो गए।

कवि रिंकू सिंह राज ने रचना पढ़ते हुए कहा

कलाम श्रृंगार लिखती है कलम अंगार लिखती है, मिटे जो देश की खातिर, नमन सौ बार लिखती है।

उक्त काव्य गोष्ठी के मौके पर समाजसेवी संदीप सिंह बिसेन, इंटरनेशनल योगा प्लेयर एक्सपर्ट अब्दुल हक, हुकुम सिंह इंटर कॉलेज प्रशासनिक अधिकारी आनंद कुमार सिंह, प्रवक्ता ज्ञान चंद्र कनौजिया, लाल बहादुर मौर्या, शिक्षक अर्जुन सिंह, शिक्षक राम शंकर सरोज, वरिष्ठ पत्रकार रोहित पांडे, वरिष्ठ पत्रकार दिनेश शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार अधिवक्ता योगेंद्र मिश्रा, पत्रकार अशर्फीलाल पाठक, अबू शहमा , फैजान, जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि अजीत सिंह, समाजसेवी अजीमुद्दीन अजी भाई, कमाल जरवल, शिक्षक महेंद्र चौधरी, हेमंत सिंह, सैम सोनी, अवधेश यादव असद खान, अबरार अहमद सहित सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित रहे।


Khabre Aaj Bhi

Reporter - Khabre Aaj Bhi

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