मछली शहर मुसहर, वनवासी बस्ती मैं आग लगने से पूरी बस्ती हुई जलकर राख ठंड के मौसम में खुले आसमान के नीचे जीने पर हैं मजबूर

By: Khabre Aaj Bhi
Dec 05, 2019
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 रिपोर्ट : अफसर अली*

जौनपुर: कोतवाली मछली शहर ग्राम प्राहित में मुसहर/ बनवासी बस्ती में आग लगने से कई घर जलकर हुए राख अनाज कपड़ा पैसा मोबाइल खटिया बिचौना पकाने का बर्तन रोजमर्रा के इस्तेमाल करने की सारी चीज जलकर हुई राख भूखों मरने पर है मजबूर शासन और प्रशासन से मदद की आस लगाए बैठे लेकिन नहीं पहुंची कोई मदद जिसमें बुजुर्ग और महिलाएं और बच्चे पूरी तरह से हैं प्रभावित नहीं है प्रशासन लगा रही है सिर्फ रिपोर्ट पर रिपोर्ट। 


प्रशासन से लगाई मदद की गुहार आस लगाए बैठे हैं कब मिलती है प्रशासन की तरफ से मदद ना खाने को अनाज है ना रहने को घर है ना पहनने के लिए कपड़ा है ना बिछाने के लिए बिस्तर ना चारपाई ना पकाने के लिए बर्तन ठंड के मौसम में खुले आसमान के नीचे ठंड से ठिठुरती जिंदगी जीने को है बेबस देख कर उड़ जाएंगे आपके होश लेकिन प्रशासन है कि जो जागने का नाम नहीं ले रहा। 

खबरें आज भी के रिपोर्टर अफसर अली ग्राम पराहित मौके पर पहुंचकर उन लोगों की स्थिति देख रह गए डांग मीडिया कर्मी मुसहर /बनवासी बद से बदतर है उनकी जिंदगी जानवर से भी बदतर जिंदगी जीने को है मजबूर प्रशासन की तरफ से कोई सहायता ना मिलने उन लोगों में है आक्रोश खूब सुनाई शासन और प्रशासन को खरी-खोटी ।


मीडिया कर्मी से बातचीत में बताया सरकार की तरफ से कॉलोनी का पैसा पास हुआ है और ईटा बालू कंक्रीट सरिया गांव के प्रधान ने गिरवाया है लेकिन गांव के कुछ लोग उस जमीन पर अपना पट्टा होने का दावा कर रहे हैं जबकि बनवासी लोग इस जमीन पर पिछले 50 सालों से आबाद है गांव के कुछ लोगों से भी बातचीत की उन्होंने बताया यह लोग पिछले 50 सालों से यहां आबाद हैं दावा करने वाले रविंद्र कुमार गौतम पुत्र शिव मूर्ति, दिनेश कुमार पुत्र अभय राज, रामचंद्र पुत्र रामधन आदि अपना पट्टा होने का दावा कर रहे हैं


उप जिला अधिकारी मछली शहर लगाई गुहार मुसहर वा वनवासी समाज के लोग भारी संख्या में मछली शहर तहसील में धरना प्रदर्शन कर उप जिला अधिकारी को सौंपा ज्ञापन अभी तक कोई कार्यवाही ना होने से मुसार समाज के लोगों में प्रशासन के खिलाफ काफी रोष पाया जाता है कब मिलेगा इंसाफ इस ठंड के मौसम में खुले आसमान के नीचे कैसे करें गुजारा सरकार गरीबों को लेकर करती है बड़े-बड़े दावे लेकिन जमीनी स्थिति कुछ और बयां करती है देखना है प्रशासन कब जागता है और उन्हें कब मिलता है आशियाना


Khabre Aaj Bhi

Reporter - Khabre Aaj Bhi

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