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लखनऊ: राजधानी पुलिस ने सेना और सीआरपीएफ में नौकरी दिलाने का झांसा देकर लाखों की ठगी करने वाले गिरोह का राजफाश किया है। एएसपी पश्चिम विकास चंद्र त्रिपाठी के मुताबिक, गिरोह के सदस्यों में से एक फर्जी कागजात तैयार कर खुद सीआरपीएफ में भर्ती हो गया था, जो बाद में बर्खास्त हुआ था। वहीं एक अन्य ने फर्जीवाड़ा कर पैरामिलिट्री फोर्स में नौकरी पाई थी। आरोपित यूपी पुलिस में भी भर्ती कराने का झांसा दे रहे थे। एएसपी पश्चिम ने बताया कि अलीगढ़ के थाना पिसावा के सुजावल गढ़ निवासी गजेंद्र सिंह उर्फ सोनू, मेरठ के परीक्षितगढ़ निवासी मनवीर सिंह, बुलंदशहर के ककोड़ अर्निया कमालपुर निवासी सुरेश भाटी और मेरठ के रोहटा स्थित डूंगर निवासी अंकित पकड़े गए हैं। गिरोह का मुख्य सरगना आदेश गुर्जर फरार है। मनवीर वर्ष 2004 में सीआरपीएफ रामपुर में सिपाही के पद पर भर्ती हुआ था। उसका अनुसुचित जनजाति का प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया। उसे बर्खास्त कर दिया गया था और जेल में भी बंद था। सीओ कैसरबाग ने बताया कि मुख्य सरगना आदेश गुर्जर के संपर्क में सुरेश आया था। सुरेश मर्चेट नेवी में था, वहां उसने फर्जी दस्तावेज के जरिए हासिल की थी। दो साल बाद उसे नौकरी से निकाल दिया गया था। आदेश युवाओं की योग्यता की कमी को फर्जी दस्तावेजों के जरिए पूरी करता था। सेना की मेडिकल जांच में भी गड़बड़ी कराता था। सीओ कैसरबाग अमित राय का कहना है कि सचिन, अमित और महतपाल ने इस मामले की शिकायत की थी। छानबीन में कई चौकाने वाली बात उजागर हुई। आरोपितों ने यूपी पुलिस में भर्ती कराने का झांसा दिया था। सचिन ने साढे तीन लाख रुपये और अमित ने साढे चार और महतपाल ने साढ़े चार लाख रुपये दिए थे।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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